deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

प्यार के लिए इंदिरा देवी ने ठुकरा दिया था ग्वालियर की महारानी का ताज, बाद में बनीं कूच बिहार की रानी

Chikheang 2025-11-5 16:59:27 views 211

  

रानी इंदिरा देवी और राजा जितेंद्र नारायण की प्रेम कहानी (Picture Courtesy: Instagram)  



लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बीसवीं सदी की शुरुआत का वह दौर था जब भारतीय राजघरानों में बेटियों की जिंदगी तय होती थी- बचपन में सगाई, युवावस्था में शादी और फिर महलों की सीमाओं में कैद जीवन। मगर बड़ौदा की राजकुमारी इंदिरा देवी (Princess Indira Devi) ने उस परंपरागत कहानी को पूरी तरह बदल दिया।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उन्होंने साबित किया कि शाही वंश की असली पहचान केवल ताज या सिंहासन से नहीं, बल्कि साहस और उनके फैसलों से होती है। आइए जानें इंदिरा देवी (Rani Indira Devi) के उस फैसले के बारे में, जिन्होंने इतिहास के पन्नों में उनका नाम दर्ज कर दिया।  
कैसे था राजकुमारी इंदिरा देवी का बचपन?

1892 में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय और महारानी चिमनाबाई के घर जन्मीं इंदिरा देवी ने एक ऐसे महल में परवरिश पाई जहां शाही अनुशासन और आधुनिक सोच दोनों का संगम था। उन्होंने पश्चिमी शिक्षा पाई और अपने तेज, सौम्यता और आकर्षक व्यक्तित्व के लिए जानी जाने लगीं।

  

(Picture Courtesy: Instagram)
सगाई तोड़कर चुना प्यार

18 वर्ष की आयु में इंदिरा देवी की सगाई ग्वालियर के महाराजा माधोराव सिंधिया से तय हुई, जो उनसे करीब 20 वर्ष बड़े थे। यह गठबंधन राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण और सही माना गया, लेकिन नियति ने कुछ और लिखा था। 1911 के दिल्ली दरबार में उनकी मुलाकात कूच बिहार के युवराज जितेंद्र नारायण से हुई और वहीं से उनकी प्रेम कहानी की शुरुआत हुई।

यह उस दौर की सबसे बड़ी सनसनी खबर थी जब इंदिरा देवी ने समाज की परवाह किए बिना महाराजा माधोराव सिंधिया से अपने तय रिश्ते को खत्म कर दिया। उन्होंने खुद माधोराव सिंधिया को चिट्ठी लिखकर सगाई तोड़ दी। यह एक ऐसा कदम जो किसी भारतीय राजकुमारी के लिए सोच से परे था। इसके बाद चारों ओर आलोचनाओं का तूफान भी उठा, मगर इंदिरा अपने फैसले पर अडिग रहीं।

  

(Picture Courtesy: Instagram)
राजकुमारी से बनीं रानी

विवाद से बचाने के लिए परिवार ने इंदिरा को यूरोप भेज दिया, लेकिन उन्होंने अपने प्रेम का साथ नहीं छोड़ा। अगस्त 1913 में उन्होंने लंदन के पैडिंगटन रजिस्ट्रेशन ऑफिस में जितेंद्र नारायण से उन्होंने एक छोटे-से समारोह में शादीकी। हालांकि, उनकी शादी में उनके परिवार का कोई भी सदस्य शामिल नहीं हुआ।

लेकिन शादी के कुछ ही दिनों बाद ही जितेंद्र के बड़े भाई का निधन हो गया और वे कूच बिहार के महाराजा बन गए। इस तरह इंदिरा देवी राजकुमारी से रानी बन गईं। इन दोनों के पांच बच्चे हुए- जगद्दीपेंद्र, इंद्रजीतेंद्र, इला देवी, मेनका देवी और गायत्री देवी। वहीं गायत्री देवी, जो आगे चलकर जयपुर की महारानी बनीं।

  

(Picture Courtesy: Instagram)
पति के बाद संभाली राजगद्दी

शादी के केवल नौ साल बाद 1922 में महाराजा जितेंद्र का निधन हो गया। कम उम्र में विधवा होने के बावजूद इंदिरा देवी ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने बेटे जगद्दीपेंद्र के बालिग होने तक 1922 से 1936 तक कूच बिहार की रीजेंट के रूप में शासन संभाला। उनके नेतृत्व में राज्य की आर्थिक स्थिति सुधरी, खर्चों पर नियंत्रण लगाया गया और प्रशासन में भी कई सुधार किए गए। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और सामाजिक सुधारों को भी प्रोत्साहित किया, जो उस समय के लिए बेहद प्रगतिशील विचार था।

  

(Picture Courtesy: Instagram)
फैशन और आधुनिकता की मिसाल

राजनीतिक कुशलता के साथ इंदिरा देवी अपने स्टाइल और ग्रेस के लिए भी जानी गईं। उन्होंने शिफॉन साड़ी को देशभर में मशहूर बनाया और भारतीय रानियों के फैशन को नया आयाम दिया। वह लंदन और पेरिस के समाज में अपने ग्रेस और मॉडर्न सोच के लिए जानी जाती थीं।

  

(Picture Courtesy: Instagram)
यह भी पढ़ें- ऐतिहासिक प्रेम कहानियों में शामिल है यह रॉयल लव स्टोरी, पढ़ें एक राजा और रानी की खास कहानी
यह भी पढ़ें- जब दो महारानियों को बनाया आर्थिक अपराधी, विजयाराजे को खर्च चलाने के लिए बेचनी पड़ी थी संपत्ति
like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

Chikheang

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

710K

Credits

Forum Veteran

Credits
73513