deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड चुनाव आयोग पर लगाया दो लाख रुपये जुर्माना, इस वजह से लिया सख्त एक्शन_deltin51

Chikheang 2025-9-27 12:05:48 views 741

  सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड चुनाव आयोग पर लगाया दो लाख रुपये जुर्माना





पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग के खिलाफ सख्त एक्शन लिया। कोर्ट ने न केवल आयोग के असंवैधानिक स्पष्टीकरण पर उत्तराखंड हाई कोर्ट की रोक को चुनौती देनेवाली याचिका खारिज की, बल्कि उस पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने सवाल उठाया कि आयोग संवैधानिक प्रविधानों के खिलाफ कैसे जा सकता है। हाई कोर्ट ने आयोग के उस स्पष्टीकरण पर रोक लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि एक से अधिक ग्राम पंचायत की मतदाता सूचियों में नाम होने के बावजूद प्रत्याशी को चुनाव लड़ने का अधिकार है। उसका नामांकन केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जाएगा।



आयोग ने हाई कोर्ट के इस साल जुलाई में दिए आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि स्पष्टीकरण प्रथम ²ष्ट्या उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम, 2016 के विपरीत है। याचिकाकर्ता आयोग ने हाई कोर्ट में कहा था कि ऐसे अनगिनत मामले हैं, जिसमें प्रत्याशियों के नाम कई मतदाता सूचियों में पाए गए और उनको चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई।

चुनाव निकाय ने स्पष्टीकरण दिया था कि किसी प्रत्याशी का नामांकन केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जाएगा कि उसका नाम एक से ज्यादा ग्राम पंचायतों, प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र या नगर पालिका निकाय में दर्ज है। इसमें 2016 के अधिनियम की धारा 9 और उप-धारा (6) और (7) को आधार भी बनाया गया था।UN, S Jaishankar, Russian oil   



उप-धारा (6) कहती है कि कोई भी व्यक्ति एक से अधिक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदाता सूची में या एक ही प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदाता सूची में एक से अधिक बार पंजीकृत होने का हकदार नहीं होगा।

उप-धारा (7) में लिखा है कि यदि किसी व्यक्ति का नाम नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत या छावनी के संबंधित किसी भी मतदाता सूची में दर्ज है, तो उसे किसी भी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदाता सूची में शामिल होने का हक नहीं होगा, जब तक कि वह ये न दिखा दे कि उसका नाम ऐसी वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है।



उच्च न्यायालय ने कहा कि जब कानून में एक से अधिक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र या एक से अधिक मतदाता सूची में मतदाता के पंजीकरण पर स्पष्ट रूप से रोक लगाई गई है और यह एक वैधानिक रोक है। ऐसे में आयोग का दिया गया स्पष्टीकरण धारा 9 की उपधारा (6) और (7) के तहत रोक के उलट नजर आता है।

like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

Chikheang

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

710K

Credits

Forum Veteran

Credits
76838