हिट एंड रन मामले के मुआवजे में बिहार देश में पहले स्थान पर। प्रतीकात्मक तस्वीर
राज्य ब्यूरो, पटना। हिट एंड रन वाली सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों को मुआवजा देने के मामले में बिहार देश में पहले स्थान पर है। अपर पुलिस महानिदेशक यातायात सुधांशु कुमार ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि पिछले डेढ़ साल में राज्य में सड़क दुर्घटना के 1626 मामलों में 84 करोड़ 19 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वहीं हिट एंड रन के 5, 830 मामलों में मुआवजे का भुगतान किया गया है। मोटर दुर्घटना पीड़ितों को मुआवजा देने की योजना के अंतर्गत गंभीर चोट लगने पर 50 हजार और मृत्यु होने पर आश्रितों को दो लाख रुपये देने का प्रवधान है।
पुलिस मुख्यालय में शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता में ट्रैफिक एडीजी ने बताया कि जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआइसी) के पास हिट एंड रन से जुड़े 9 हजार 80 मामले मुआवजा भुगतान के लिए भेजे गए हैं। इसमें अब तक 5 हजार 830 मामलों में पीड़ितों को मुआवजा दिया गया है।
उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं को दो श्रेणियों में बांटा गया है। एक मामले में गाड़ी और ड्राइवर का पता होता है। दूसरे मामले में गाड़ी या ड्राइवर दुर्घटना के बाद फरार हो जाता है, इन्हें हिट एंड रन के तहत दर्ज किया जाता है।
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अधिकतम एक साल में मिल जाए मुआवजा, पुलिस की भी जवाबदेही तय
एडीजी सुधांशु कुमार ने बताया कि अधिकतम एक साल के अंदर दुर्घटना पीड़ितों को मुआवजा मिल जाना चाहिए। इसके लिए पुलिस, बीमा कंपनियों आदि की जवाबदेही तय की गई है।
सड़क दुर्घटना के 48 घंटे के अंदर अनुसंधान पदाधिकारी को फार्म-2 भरकर पीड़ित या आश्रितों को उपलब्ध कराना है, जबकि 90 दिनों में चार्जशीट करनी है।
छह माह में दावा भुगतान कर देना है। अगर पीड़ित मुआवजा राशि से असंतुष्ट है, तो वह मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण में अपील कर सकता है। यहां भी अधिकतम 12 माह में मामलों का निष्पादन कर मुआवजा भुगतान करने का निर्देश है।
सड़क दुर्घटना से जुड़े मामलों का समय पर निपटारा करने के लिए दस जिलों पटना, सारण, पूर्णिया, गयाजी, डेहरी, सहरसा, मुंगेर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण का गठन किया गया है।
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