बोधगया में जातीय समीकरण बना चुनावी गणित का केंद्र
संवाद सूत्र, फतेहपुर (गया)। विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहा है, वैसे-वैसे बोधगया विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण का असर चुनावी हवा में गहराता जा रहा है। यह सीट इस बार पूरी तरह पासवान बनाम पासवान की सीधी लड़ाई में तब्दील होती दिख रही है, जबकि मांझी समुदाय के दो उम्मीदवारों की मौजूदगी ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बोधगया विधानसभा सीट से एनडीए और महागठबंधन दोनों ने पासवान समाज से उम्मीदवार उतारा है। दोनों ही प्रत्याशी अपने-अपने दलों के परंपरागत मतदाताओं को साधने में जुटे हैं। वहीं, मांझी जाति के दो प्रत्याशी एक जनसुराज पार्टी से और दूसरा हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) के बागी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। जो मुख्य मुकाबले में सेंध लगाने की स्थिति में दिख रहे हैं।
बोधगया विधानसभा क्षेत्र में जातीय संतुलन बेहद महत्वपूर्ण है। क्षेत्र में पासवान, मांझी, यादव, ब्राह्मण, भूमिहार, अल्पसंख्यक मतदाता हैं। यही वजह है कि सभी प्रत्याशी इन समुदायों के संपर्क में रहकर लगातार जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं।
मौजूदा हालात में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच माना जा रहा है, लेकिन मांझी समुदाय के दोनों प्रत्याशी फैक्टर बनते हुए देखे जा रहे हैं। राजनीतिग्य का मानना है कि यदि मांझी मतों का बंटवारा हुआ, तो इसका लाभ किसी तीसरे प्रत्याशी को भी मिल सकता है।
क्षेत्र में चुनावी प्रचार तेज हो गया है। प्रत्याशी गांव-गांव घूमकर, चौपालों और घरों तक पहुंचकर मतदाताओं के मन को टटोल रहे हैं। हर प्रत्याशी अपनी जातीय और स्थानीय पहचान के साथ विकास के मुद्दे को जोड़ने की कोशिश कर रहा है। ग्राम पंचायतों से लेकर नगर क्षेत्रों तक जनसम्पर्क का दौर जारी है।
मतदाता अब खुलकर चर्चा कर रहे हैं कि “कौन बनेगा बोधगया का विधायक?”। लेकिन इतना तय है कि मांझी प्रत्याशी एवं मतदाता इस बार चुनावी गणित का पासा पलट सकते हैं। |