deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Banke Bihari Mandir: चार संदूक और... 54 साल बाद खुला बांके बिहारी मंदिर का खजाना, क्या मिला?

deltin33 7 day(s) ago views 1003

  

वृंदावन के ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में तोषखाना खोलने से पहले सुरक्षा के की गई व्यवस्था में वन विभाग की टीम स्नैक कैचर, ग्लब्स आदि के साथ। - फोटो: जागरण।



संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के 160 वर्ष पुराने खजानेे (तोषखाने) का 54 वर्ष शनिवार को दरवाजा खुला। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्च प्रबंधन समिति आदेश पर खुले खजाने में करीब साढ़े तीन घंटे तक खोजबीन के बाद बक्सों में बंद कुछ बर्तन, खाली संदूक, एक छोटा चांदी का छत्र और जेवरात के कुछ खाली बाक्स मिले। इतने वर्षों बाद खजाना का दरवाजा खुला तो काफी मलबा भी निकला। मंदिर खुलने का समय होने के कारण फिर से खजाने के दरवाजे पर सील लगा दी गई। रविवार को फिर से खजाना खोला जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
उच्च प्रबंध समिति के आदेश पर 54 वर्ष बाद खोला गया है खजाना

  

ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में परिसर में ही खजाना है। वर्ष 1971 में अंतिम बार खजाना खोला गया और उसमें रखे ठाकुर जी के चढ़ावे के जेवरात व अन्य वस्तुएं एक बक्से में रखी गई थीं। बाद में भूतेश्वर स्थित भारतीय स्टेट बैंक में एक लाकर लेकर वह बक्सा लाकर में रख दिया गया। तब से खजाने में सील लगी थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई उच प्रबंधन समिति के निर्देश पर शनिवार को फिर खजाना खोला गया। मंदिर के पट बंद होने के बाद सिविल जज जूनियर डिवीजन शिप्रा दुबे की अगुवाई में अधिकारियों की टीम दोपहर करीब एक बजे मंदिर पहुंची। करीब डेढ़ बजे खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई।

  
चार लोहे के संदूक मिले, खोले गए दो संदूक में मिले बर्तन

  

  

गर्भगृह के पास खजाने के लोहे के दरवाजे पर लगा ताला कटर से काटा गया। आठ गुणा दस फीट के इस कमरे में काफी मिट्टी भरी थी। मजदूरों ने यह मिट्टी हटाई। टीम में कमेटी में शामिल चार सेवायत भी थे। चूंकि किसी को भी यह नहीं पता था कि खजाना का कमरा अंदर कहां है। ऐसे में इसी कमरे में बाईं ओर एक और लोहे का दरवाजा दिखा। इस दरवाजे को भी सब्बल डालकर खोला गया। यह कमरा करीब छह फीट गुणा चार फीट का था। इसी कमरे में चार लोहे के संदूक मिले, जबकि एक लकड़ी का खाली संदूक था। लोहे के संदूक के कुंडे टूटे हुए थे और उनके बंद ताले संदूक में रखे थे। इन संदूक में पुराने कांसे और पीतल आदि के बर्तन रखे थे। लकड़ी के खाली बाक्स में कुछ नहीं था।

  
दो सांप के बच्चे भी मिले, आज फिर खोले जाएंगे दरवाजे

  

कुछ जेवरात के खाली बाक्स इसमें मिले। लोहे के दो संदूक अभी खोले नहीं गए हैं। इसी कमरे में एक छोटा सा चांदी का छत्र भी मिला है। तीन बड़ी पीतल की डेग, तीन कलशे, एक परात, चार बड़े पत्थर गोलाकार डेढ़ फीट ऊंचाई के, एक लकड़ी का तख्ता तो एक फीट ऊंचाई का था मिला। दो पीतल के छोटे घंटे भी मिले। इसी कमरे में फर्श में रखे पत्थर को हटाया गया तो उसमें नीचे जाने की सीढ़ी दिखाई दी। करीब सात सीढ़ी के बाद नीचे तीन गुणा चार फीट का एक छोटा कमरा मिला।

उच्च प्रबंधन समिति के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने बताया कि यही खजाना है। इसमें सांप के दो छोटे बच्चे मिले, बाकी यह पूरा खाली था। सांप के बच्चों को वन विभाग की टीम ने पकड़ लिया। करीब साढ़े चार बजे खजाने से टीम बाहर आ गई। अभी प्रशासनिक अधिकारियों ने इस पर कुछ नहीं कहा है। रविवार को फिर टीम खजाने में खोजबीन करेगी। समिति के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने बताया कि जब अंतिम बार 1971 में खजाना खुला था, तभी इसमें रखे जेवरात व अन्य सामान बक्से में बंद कर बैंक के लाकर में रख दिया गया था। उनका कहना है कि जब सामान बक्से में रखा गया था, तब उसकी सूची भी नहीं बनाई गई थी कि क्या-क्या रखा गया है।


खजाना खोलने में ताक पर रखे नियम


मंदिर का खजाना खोलने के दौरान उच्च प्रबंधन समिति द्वारा गठित अधिकारियों की टीम ने जांच के सारे नियमों को ताक पर रख दिया। मंदिर के खजाने का पहला दरवाजा तोड़ने के दौरान अधिकारियों और मंदिर सेवायतों के अलावा कुछ कर्मचारी भी पहुंचे लेकिन उनकी जांच नहीं की गई। टीम के सदस्य भी कई बार आते-जाते रहे। इसे लेकर मंदिर में सेवायतों ने विरोध किया। उन्होंने मंदिर परिसर में ही नाराजगी जताई और कहा कि प्रशासन लापरवैाही बरत रहा है। मंदिर सेवायत रजत गोस्वामी व समिति सदस्य दिनेश गोस्वामी के बीच बहस भी हो गई। रजत गोस्वामी ने कहा कि जब आप लोग खजाने में अंदर जा रहे हैं और बाहर निकल रहे हैं, तो चेकिंग क्यों नहीं हो रही। खजाना में बहुमूल्य आभूषण निकलने तो उनके चोरी होने की जिम्मेदारी किसकी होगी।



अंतिम बार 1971 में खुला खजाना, अखबार 1972 का मिला

  

बताया जा रहा है कि अंतिम बार खजाना 1971 में खुला था, लेकिन लकड़ी के बाक्स में एक पुराना समाचार पत्र मिला है। सदस्य दिनेश गोस्वामी ने बताया कि इस पर फरवरी 1972 लिखा है। 1971 के बाद खजाने का दरवाजा नहीं खुला, 1972 का फिर अखबार वहां कैसे पहुंचा। इसे लेकर दिनेश गोस्वामी कोई जवाब नहीं दे सके।



अभी टीम ने कोई रिपोर्ट नहीं दी है, क्या निकला है, यह नहीं पता है। रविवार को भी खोदाई होगी। जब टीम रिपोर्ट देगी, तभी कुछ कहा जा सकता है। सीपी सिंह, डीएम, सचिव उच्च प्रबंधन समिति
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

deltin33

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

610K

Credits

administrator

Credits
69708