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भारत का एक कदम और तिलमिला गया ड्रैगन, EV और बैटरी पर मिलने वाली सब्सिडी के खिलाफ WTO में की शिकायत

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भारत का एक कदम और तिलमिला गया ड्रैगन, EV और बैटरी पर मिलने वाली सब्सिडी के खिलाफ WTO में की शिकायत



नई दिल्ली। चीन द्वारा अप्रैल में रेयर अर्थ मेटल पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने के बाद भारत ने ईवी वाहन और बैटरी पर सब्सिडी देने को लेकर कई तरह की योजनाएं चलाई। भारत के इस कदम से पड़ोसी चीन तिलमिला उठा है। चीन ने बुधवार को विश्व व्यापार संगठन (Indo China WTO dispute) में भारत द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी पर दी जा रही सब्सिडी (EV subsidies in India) को लेकर शिकायत दर्ज कराई। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन उपायों से भारतीय घरेलू उद्योगों को अनुचित प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलता है और चीन के हितों को नुकसान पहुंचता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

चीन के इस कदम पर भारत के वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि मंत्रालय चीन द्वारा सबमिट किए गए दस्तावेजों पर गौर गरेगा। इस कदम की पुष्टि करते हुए एक अधिकारी ने बताया कि चीन ने तुर्की, कनाडा और यूरोपीय संघ के खिलाफ भी इसी तरह के आवेदन दायर किए हैं।

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अधिकारी ने कहा, “उन्होंने भारत से परामर्श मांगा है।“ विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार, परामर्श लेना विवाद निपटान प्रक्रिया का पहला चरण है।

बीजिंग के मंत्रालय ने कहा कि चीन अपने घरेलू उद्योगों के वैध अधिकारों और हितों की प्रभावी सुरक्षा के लिए “कड़े कदम“ उठाएगा। यदि भारत के साथ अनुरोधित परामर्श से कोई संतोषजनक समाधान नहीं निकलता है, तो यूरोपीय संघ अनुरोध कर सकता है कि विश्व व्यापार संगठन इस मामले में उठाए गए मुद्दे पर निर्णय देने के लिए एक पैनल गठित करे।
भारत का एक्सपोर्ट घटा लेकिन इंपोर्ट बढ़ा

चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। पिछले वित्त वर्ष में चीन को भारत का निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर 14.25 अरब डॉलर रह गया, जबकि 2023-24 में यह 16.66 अरब डॉलर था। हालांकि, आयात 2024-25 में 11.52 प्रतिशत बढ़कर 113.45 अरब डॉलर हो गया, जो 2023-24 में 101.73 अरब डॉलर था। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 2024-25 के दौरान बढ़कर 99.2 अरब डॉलर हो गया है।

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 से 2017-18 तक और 2020-21 में भी चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा। चीन से पहले, संयुक्त अरब अमीरात भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। 2021-22 से अमेरिका सबसे बड़ा साझेदार रहा है।

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