deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

न तो पक्की सड़क न तो साधन... खटोले पर मरीज ले जाने को मजबूर ग्रामीण

deltin33 2025-10-23 21:37:00 views 499

  

यहां आज भी एंबुलेंस के बजाए खटोले पर पहुंचाए जाते हैं मरीज। फोटो जागरण



मुकेश कुमार पाठक, रोहतास। लोकतंत्र के इस पर्व में जहां नेता विकास और जनकल्याण के बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं, वहीं रोहतास प्रखंड के कई पहाड़ी गांवों की तस्वीर आज भी पिछड़ेपन की कहानी बयां कर रही है। यहां सड़क और स्वास्थ्य सुविधा की कमी आज भी सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

रोहतासगढ़ पंचायत के बभनतलाव, नागाटोली, धनसा और आसपास के पहाड़ी इलाकों में आज भी मरीजों को एंबुलेंस के बजाय खटोले पर लादकर नीचे लाना पड़ता है, क्योंकि इन गांवों तक पहुंचने के लिए न तो पक्की सड़क है, न ही कोई परिवहन व्यवस्था।
पथरीले रास्तों पर जीवन की जद्दोजहद

इन गांवों से मुख्य सड़क तक पहुंचने का रास्ता बेहद दुर्गम है। बरसात के मौसम में ये रास्ते दलदली और कीचड़ भरे हो जाते हैं, जहां छोटी-बड़ी कोई भी गाड़ी नहीं पहुंच पाती है। लोगों को मरीजों, गर्भवती महिलाओं और वृद्धों को खटोले या बांस की चारपाई पर रखकर 10 से 12 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है।

कई बार रास्ते में ही मरीजों की हालत गंभीर हो जाती है, लेकिन मजबूरी में लोगों को इसी जोखिम भरे रास्ते से गुजरना पड़ता है। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगाई गई, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सड़क निर्माण की मांग कई सालों से की जा रही है, लेकिन नेता सिर्फ चुनाव के वक्त आते हैं और वादे करके चले जाते हैं।
रोपवे का काम अधूरा

बभनतलाव से रेहल तक की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है, लेकिन बीच का रास्ता पूरी तरह पहाड़ी और पथरीला है। सरकार ने रोपवे निर्माण की योजना शुरू की थी, जिससे पहाड़ी गांवों के लोगों को नीचे आने-जाने में सुविधा हो सके, मगर काम वर्षों से अधूरा पड़ा है।

पहाड़ी गांवों को मुख्य सड़क से जोड़ना विकास की पहली शर्त होनी चाहिए, लेकिन यह मुद्दा बार-बार चुनावी भाषणों में आने के बावजूद कभी प्राथमिकता नहीं बन पाया।

  


हमारे गांव में सड़क नहीं है। बरसात में कीचड़ इतना हो जाता है कि पैर रखना भी मुश्किल होता है। जब कोई बीमार पड़ता है तो हम चार-पांच लोग मिलकर मरीज को खटोले पर लादकर नीचे रेहल या रोहतास पीएचसी तक ले जाते हैं। एंबुलेंस यहां तक नहीं पहुंच सकता। - राकेश सिंह, बभनतलाव




हर चुनाव में नेता आते हैं, पहाड़ी गांवों में आकर लोगों से वोट मांगते हैं। कहते हैं सड़क बनेगी, अस्पताल खुलेगा, रोपवे चलेगा, लेकिन चुनाव खत्म होते ही सब भूल जाते हैं। हम लोग फिर से पुराने हालात में जीने को मजबूर हैं। बरसात के दिनों में गांव के अंदर घुसना तक मुश्किल होता है। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, महिलाएं बाजार नहीं जा पातीं, और बीमार लोग भगवान भरोसे रहते हैं। - कृष्णा सिंह यादव, नागाटोली




बरसात के दिनों में हालात और खराब हो जाते हैं। बरसात में तो चारपाई भी कीचड़ में धंस जाती है। कई बार मरीज को नीचे लाने में चार-पांच घंटे लग जाते हैं। रास्ता फिसलन भरा होने के कारण खटोला उठाने वाले भी गिर पड़ते हैं। कई बार तो मरीज को नीचे पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ते भी देखा गया है। जब तक इन गांवों को पक्की सड़क से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक यह समस्या खत्म नहीं होगी। - कामता यादव, धनसा




सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा, तीनों मुद्दे यहां के लोगों के लिए जीवन-मरण का सवाल हैं। अगर सड़क नहीं होगी तो अस्पताल, स्कूल, बिजली, कुछ भी काम का नहीं रह जाएगा। खटोले पर मरीज ढोना अब हमारे लिए मजबूरी बन गया है। सड़क निर्माण पहाड़ी लोगों की पहली और सबसे बड़ी मांग है। बरसात के समय रास्ते इतने खराब हो जाते हैं कि गाड़ियां कीचड़ में धंस जाती हैं। गांव तक गाड़ी नहीं पहुंच पाती, इसलिए हमें पैदल चलकर ही जाना पड़ता है। कई बार बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, महिलाएं प्रसव के समय घर में ही रह जाती हैं क्योंकि नीचे लाना संभव नहीं होता। - नागेंद्र उरांव, नागाटोली
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

deltin33

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

610K

Credits

administrator

Credits
69003
Random