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डीपफेक पर लगाम लगाने की तैयारी, अब संयुक्त सचिव और डीआइजी स्तर के अधिकारी ही कंटेंट हटाने का दे सकेंगे निर्देश

LHC0088 2025-10-23 02:37:52 views 414

  

डीपफेक पर लगाम लगाने की तैयारी (फाइल फोटो)



जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डीपफेक या मिलावटी ऑडियो-वीडियो से किसी व्यक्ति के सामाजिक या व्यक्तिगत नुकसान को रोकने के लिए सरकार नया कानून लाने जा रही है। जल्द ही ट्विटर, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर डाले जाने वाले मिलावटी कंटेंट पर एक लेबल लगाना अनिवार्य होगा। ताकि यूजर्स को यह पता लग जाए कि जो वीडियो या ऑडियो वह देख या सुन रहा है, वह असली नहीं है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इलेक्ट्रॉनिक्स व आइटी मंत्रालय ने इस संबंध में मसौदा जारी किया है जिस पर स्टेकहोल्डर्स से प्रतिक्रिया मांगी गई है। प्रतिक्रिया देने का काम अगले 15 दिनों में समाप्त हो जाएगा, उसके बाद इस नियम को लागू किया जा सकता है। मंत्रालय के मुताबिक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर मिलावटी कंटेंट का पता लगाने की जिम्मेदारी इंटरमीडिएरिज की होगी।
कैसे पता लगाया जाएगा

मतलब इंटरमीडियरिज किसी ऐसे टूल का इस्तेमाल करेंगे जो कंटेंट को प्लेटफार्म पर पोस्ट करते ही यह पता लगा लेगा कि कंटेंट में मिलावट है और फिर उस पर लेबल लगा दिया जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि सरकार यह नियम इंटरमीडियरिज व सोशल मीडिया प्लेटफार्म से बात करने के बाद ही ला रही है।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म ने सरकार को भरोसा दिया है कि इस प्रकार की लेबलिंग आसानी से की जा सकती है। इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि संसद से लेकर विभिन्न फोरम पर समाज को नुकसान पहुंचाने वाले डीपफेक वीडियो और ऑडियो को नियंत्रित करने की लगातार मांग उठ रही थी।

इससे लोगों का व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन प्रभावित होता है। इसलिए सरकार लेब¨लग का नियम ला रही है ताकि यूजर्स को इसका पता चल सके। चुनाव के दौरान भी किसी प्रत्याशी की छवि को खराब करने के लिए डीपफेक वीडियो-आडियो का इस्तेमाल किया जाता है।दूसरी तरफ अब किसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से कंटेंट को हटाने का निर्देश संयुक्त सचिव या डीआईजी रैंक के अधिकारी ही दे सकेंगे।
कब से लागू होगा नियम

आगामी एक नवंबर से यह नियम लागू हो जाएगा। मंत्रालय ने पाया कि विभिन्न राज्यों में अभी दरोगा स्तर के अधिकारी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से कंटेंट हटाने का फरमान जारी कर रहे थे। राज्य सरकार की तरफ से इस नियम में बदलाव की मांग की जा रही थी। संयुक्त सचिव और डीआइजी पुलिस स्तर के अधिकारी की तरफ से अगर किसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म को कंटेंट हटाने का निर्देश जाता है और कंटेंट को नहीं हटाया जाता है तो उस प्लेटफार्म को भी कंटेंट डालने वाले के बराबर जिम्मेदार माना जाएगा और उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।

इस प्रकार की कार्रवाई की समीक्षा मासिक स्तर पर सचिव स्तर के अधिकारी करेंगे। मंत्रालय का कहना है कि इस नए नियम के बाद यह स्पष्ट हो गया कि किस स्तर के अधिकारी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कंटेंट हटाने के लिए निर्देश जारी कर सकते हैं।
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