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नैनीताल में आवारा कुत्तों के बाद नया संकट, लोगों को काट रहे चूहे

deltin33 2025-10-17 11:37:58 views 296

  

जनवरी से अब तक 41 लोगों को चूहे काट चुके हैं। प्रतीकात्‍मक



नरेश कुमार, नैनीताल। आवारा कुत्तों, बंदर-लंगूरों के आतंक के बाद अब शहर में चूहों का आतंक बढ़ रहा है। पिछले दस माह में चूहे 41 लोगों को काट चुके है। चूहे बिल बनाकर जमीन को खोखला करने के साथ भूस्खलन का भी कारण बने हुए है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस बढ़ती समस्या पर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो यह बड़े भूस्खलन के साथ ही लोगों में बुखार, एलेर्जी, रेबीज जैसी बीमारी व प्लेग जैसी महामारी फैलने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

शहर में खाद्य अपशिष्ठ का बेहतर प्रबंधन नहीं है। जिस कारण सड़कों, पार्क, घरों में चूहे पाये जाना आम बात है। बीते कुछ वर्षों में चूहों की आबादी व उनके आकार में अप्रत्याशित विस्तार हो रहा है। जनवरी से अब तक 41 लोगों को चूहे काट चुके हैं। वरिष्ठ फिजिशियन डा. एमएस दुग्ताल ने बताया कि चूहे के काटने पर अन्य जानवरों के काटने जैसा ही उपचार दिया जाता है। इसमें मरीज को टिटनेस व एंटी रेबीज टीके लगाए जाते है। चूहे के काटने से काटे हुए स्थान पर एलर्जी, तेज बुखार आने जैसे लक्षण दिखते है। यदि चूहा रैबीज संक्रमित हुआ तो रैबीज और प्लेग जैसी समस्या भी पैदा कर सकता है। खाद्य अपशिष्ट का बेहतर प्रबंधन, ईको फ्रेंडली कीटनाशक प्रयोग कर चूहों की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
जलवायु परिवर्तन हो सकता है बड़ा कारण

चिड़ियाघर के चिकित्सक डा. हिमांशु पांगती बताते है कि नैनीताल में खाद्य अपशिष्ट का बेहतर प्रबंधन नहीं होने से चूहों को पर्याप्त भोजन मिल रहा है। जिससे उनकी संख्या में वृद्धि हो रही है। साथ ही जलवायु परिवर्तन भी आबादी विस्तार का बड़ा कारण है। नैनीताल की जलवायु परिवर्तन के बाद चूहों के अनुकूल हो चली है। अनुकूल वातावरण में अधिक प्रजनन करने, जीवन प्रत्याशा बेहतर होना भी है। चूहों का आकार बढ़ने का कारण दो अलग-अलग प्रजाति के चूहों के बीच क्रास होना हो सकता है। अन्य वन्य जीवों में भी ऐसे उदाहरण देखे गए है।
भूधंसाव का कारण बन रहे चूहे

शहर में चौतरफा भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में भूविज्ञानी चूहों को भूंधसाव का बड़ा कारण मान रहे है। भूवैज्ञानिक डा. बीडी पाटनी ने बताया कि चूहे शहर के आबादी क्षेत्रों के साथ ही झील के चारों ओर से क्षेत्र को खोखला कर रहे है। चूहों द्वारा बनाये बिलों से वर्षा का जल रिसाव होने से भीतर ही भीतर भूक्षरण होने से धंसाव का खतरा बढ़ जाता है। मैदानी क्षेत्रों में पानी का रिसाव होने से अधिक समस्या नहीं होती, नैनीताल में अधिकांश भवन ढलान मे बने हुए है। भवनों के नीचे की जमीन खोखली होने से धंसाव का संकट बढ़ जाता है।
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