जागरण संवाददाता, कानपुर। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रवेश न देने पर जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने सख्ती दिखाई है।  
 
आरटीई अधिनियम 2009 की धारा 12(1)(ग) का पालन न करने के आरोप में गोविंदनगर और केशवपुरम स्थित दो बड़े निजी स्कूलों के यू-डायस नंबर निलंबित कर दिए गए। दोनों विद्यालयों ने कई बार नोटिस देने के बावजूद आरटीई के तहत आवंटित बच्चों को दाखिला नहीं दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
नहीं दिया एडमिशन  
 
बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गोविंद नगर स्थित स्कूल में नियति मिश्र और प्रनय सोनी को दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में प्रवेश आवंटित हुआ था, जबकि केशवपुरम स्थित स्कूल में दिव्यम श्रीवास्तव, मानवेन्द्र और मोहम्मद रेयान अख्तर का एडमिशन होना था, लेकिन दोनों स्कूल प्रबंधन ने नोटिस, निरीक्षण और चेतावनियों के बावजूद आरटीई के तहत प्रवेश देने से इन्कार कर दिया।  
 
गोविंद नगर के स्कूल में इस वर्ष आरटीई के तहत 30 में से केवल 12 बच्चों को और केशवपुरम स्थित निजी स्कूल में 35 में से मात्र सात बच्चों को प्रवेश दिया गया। जानकारी पर जिलाधिकारी ने अभिभावकों की शिकायतों पर गंभीरता दिखाते हुए बीएसए को कार्रवाई के निर्देश दिए, जिसके बाद दोनों विद्यालयों का यू-डायस नंबर निलंबित करने की कार्रवाई की गई।  
मान्यता निरस्तीकरण की शुरू होगी कार्रवाई  
 
बीएसए सुरजीत कुमार सिंह ने बताया कि यू-डायस नंबर किसी विद्यालय की शैक्षणिक पहचान है। इसके निलंबित होने पर विद्यालय सरकारी योजनाओं से वंचित हो जाता है, नए विद्यार्थियों का पंजीकरण रुक जाता है और मान्यता निरस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। उन्होंने बताया कि इस शैक्षणिक सत्र में 712 विद्यालयों में कुल 4663 बच्चों का आरटीई के तहत एडमिशन कराया गया है। जिले में फिलहाल 16 हजार से अधिक विद्यार्थी इस योजना का लाभ ले रहे हैं।   
  
आरटीई का उद्देश्य वंचित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। विद्यालयों को चाहिए कि वे इस दायित्व को निभाकर बच्चों के उज्ज्वल भविष्य में भूमिका निभाएं। ऐसा नहीं करने वाले विद्यालयों पर नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है।  
-जितेन्द्र प्रताप सिंह, जिलाधिकारी   |