deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

अफीम केस: 16 साल की कानूनी लड़ाई में मिली राहत

LHC0088 2025-10-15 18:37:58 views 632

  

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 2009 के अफीम मामले 50 साल के बुजुर्ग को राहत (फाइल फोटो)



राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि किसी मुकदमे को 16 वर्ष तक लटकाए रखना अपने आप में एक सजा के समान है। जस्टिस सुमित गोयल की एकल पीठ ने 2009 के अफीम रखने के मामले में दोषी ठहराए गए 50 वर्षीय बलविंदर सिंह की चार वर्ष की सजा को घटाकर ‘पहले से बिताई गई अवधि’ तक सीमित कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि सजा का उद्देश्य केवल दंड देना नहीं, बल्कि सुधार और पुनर्वास भी है।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जस्टिस गोयल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सुधारात्मक न्याय और निवारक दृष्टिकोण के बीच संतुलन जरूरी है। आधुनिक न्यायशास्त्र का लक्ष्य व्यक्ति को सुधारना है, दमन नहीं।

हरियाणा के करनाल निवासी बलविंदर सिंह को वर्ष 2009 में बिना वैध परमिट के 500 ग्राम अफीम रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। नवंबर 2011 में करनाल की विशेष एनडीपीएस अदालत ने उन्हें एनडीपीएस अधिनियम की धारा 18 (सी) के तहत दोषी मानते हुए चार साल के कठोर कारावास और 25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। जुर्माना न भरने की स्थिति में एक साल की अतिरिक्त सजा भी तय की गई थी।

बलविंदर सिंह ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। शुरुआत में उन्होंने दोष सिद्धि और सजा दोनों को चुनौती दी थी, परंतु हालिया सुनवाई में उनके वकील ने अपील को केवल सजा कम करने तक सीमित कर दिया।

उन्होंने तर्क दिया कि सिंह की उम्र 50 वर्ष है, उनका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, वे पारिवारिक जिम्मेदारियों से बंधे हैं, और मुकदमे की सुनवाई 16 वर्ष तक चली, जो अपने आप में एक सजा है।  

राज्य की ओर से कहा कि ट्रायल कोर्ट ने जो सज़ा दी थी, वह अपराध की गंभीरता और एनडीपीएस अधिनियम की सख्त नीति के अनुरूप थी। जस्टिस गोयल ने एक निर्णय का हवाला देते हुए माना कि लंबी न्यायिक प्रक्रिया भी अभियुक्त के लिए मानसिक कारावास बन जाती है।

हाई कोर्ट ने कहा कि सुधारात्मक दृष्टिकोण के साथ उदारता दिखाना न्याय के हित में है, खासकर तब जब अभियुक्त का पहला करियर स्वच्छ हो और मुकदमे की अवधि असामान्य रूप से लंबी रही हो। इन तथ्यों को देखते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि बलविंदर सिंह ने पहले ही पर्याप्त सजा भुगत ली है।  

कोर्ट ने उनकी चार साल की सजा को घटाकर पहले से बिताई गई अवधि तक सीमित कर दिया और आदेश दिया कि यदि वे एक महीने के भीतर 25 हजार का जुर्माना अदा कर देते हैं, तो उन्हें रिहा किया जाए। हालांकि अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर जुर्माना समय पर जमा नहीं किया गया, तो राहत अपने आप समाप्त हो जाएगी और सिंह को ट्रायल कोर्ट द्वारा तय शेष सजा काटनी होगी।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

610K

Credits

Forum Veteran

Credits
66596