deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

साइबर अपराधों को रोकने के लिए SC ने की टिप्पणी, जस्टिस पारदीवाला ने लड़कियों के अधिकारों पर क्या कहा?

deltin33 2025-10-13 07:08:45 views 791

  

जटिल साइबर अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने में जांच पद्धतियां उपयुक्त नहीं (फाइल फोटो)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जेबी पारदीवाला ने रविवार को कहा कि आनलाइन दुनिया में बालिकाओं के शिकार होने का खतरा अधिक है और वर्तमान जांच पद्धतियां साइबर जगत में होने वाले जटिल अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यह दुर्भाग्यपूर्ण और एक कड़वी सच्चाई है कि संविधान अंगीकार करने के 75 साल बाद भी देश बच्चों खासकर लड़कियों के अधिकारों के मामले में सुधार के लिए संघर्ष कर रहा है। जस्टिस पारदीवाला यूनीसेफ और भारत सरकार के सहयोग से सुप्रीम कोर्ट की किशोर न्याय समिति (जेसीसी) के तत्वाधान में आयोजित \“\“बालिकाओं की सुरक्षा : भारत में उनके लिए एक सुरक्षित और सक्षम वातावरण की ओर\“\“ विषय पर दो दिवसीय वार्षिक राष्ट्रीय परामर्श के समापन समारोह में बोल रहे थे।
तेजी से विकसित हो रही है डिजिटल दुनिया

तेजी से विकसित हो रही डिजिटल दुनिया से जुड़े जोखिमों और अवसरों के मुद्दे पर उन्होंने कहा, \“\“ऑनलाइन दुनिया में बालिकाओं के शिकार होने का खतरा ज्यादा है। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराध करने के लिए अपराधी डिजिटल दुनिया की उस सुलभता का फायदा उठाते हैं जहां उन्हें एक-दूसरे से जुड़ना आसान होता है और उनकी पहचान भी उजागर नहीं हो पाती।

हमारी वर्तमान जांच-पड़ताल की पद्धतियां साइबरस्पेस में होने वाले जटिल अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए, हमने बच्चों खासकर लड़कियों को आनलाइन सुरक्षा प्रदान करने के लिए और अधिक कड़े कानूनी सुरक्षा उपायों, बेहतर कानून प्रवर्तन और तकनीक के ज्यादा प्रभावी इस्तेमाल की जरूरत को पहचाना, ताकि उन्हें सीखने और आगे बढ़ने में सक्षम बनाया जा सके।\“\“
बालिकाओं के लिए जस्टिस पारदीवाला ने क्या कहा?

जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि बालिकाओं के लिए एक सहायक और अनुकूल वातावरण बनाने के उद्देश्य से कई कानून और योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन हमें इस कड़वी सच्चाई को भी स्वीकार करना होगा कि इन कानूनों को लागू करने में कई चुनौतियां हैं जो गहरी जड़ें जमाए उन ²ष्टिकोणों और मानदंडों से उत्पन्न होती हैं जिनसे समाज मुक्त होने को तैयार नहीं है।

किसी भी सामाजिक कुरीति को सुधारने का कोई भी प्रयास हमारे अपने घरों से शुरू होना चाहिए..अपने परिवारों और समुदायों में व्याप्त भेदभावपूर्ण प्रथाओं की पहचान करके और उनका सामना करके। सच्चा बदलाव नीतिगत दस्तावेजों या अदालतों में शुरू नहीं होता, बल्कि यह मानसिकता, दैनिक बातचीत और उन मूल्यों से शुरू होता है जो लोग अपने बच्चों को देते हैं।
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

deltin33

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

610K

Credits

administrator

Credits
69546
Random