कोल्ड्रिफ की बिक्री के लालच ने ली बच्चों की जान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में अमानक कोल्ड्रिफ सीरप से 23 बच्चों की मृत्यु के मामले में दवा कंपनियों, डॉक्टरों और दवा विक्रेताओं के गठजोड़ की कहानी सामने आई है। इस गठजोड़ में कंपनियां अपनी दवाएं लिखने के लिए डॉक्टरों को महंगे उपहार और परिवार सहित विदेश में छुट्टियों तक का लुभावना प्रस्ताव भी देती हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आरोपित डा. प्रवीण सोनी का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भले ही बचाव कर रहा हो लेकिन जांच में यह सामने आया है कि डॉ. प्रवीण सोनी ने उसके यहां आने वाले बच्चों को कोल्ड्रिफ सीरप ही लिखा। यह उसकी पत्नी ज्योति के स्वामित्व में संचालित मेडिकल स्टोर से बेचा गया। मृत बच्चों के स्वजन ने आरोप लगाया कि डॉ. प्रवीण सोनी इसी स्टोर से दवा खरीदने के लिए दबाव बनाता था। फिलहाल क्लीनिक और मेडिकल स्टोर दोनों सील कर दिए गए हैं।
डॉ. प्रवीण सोनी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया
परासिया के सरकारी अस्पताल में पदस्थ डॉ. प्रवीण सोनी न्यायिक हिरासत में जेल में हैं। इस मामले ने एक बार फिर दवाइयों में दवा के घटकों को लेकर सवाल उठा दिया है। नियमानुसार डाक्टर को जेनरिक दवा लिखनी चाहिए लेकिन ब्रांड कोल्ड्रिफ के प्रति लगाव डॉ. प्रवीण सोनी के लालच की कहानी बता रहा है।
प्रवीण सोनी के अधिकतर पर्चों पर कोल्ड्रिफ लिखा मिला
छिंदवाड़ा कलेक्टर हरेंद्र नारायण ने बताया कि डॉ. प्रवीण सोनी की गिरफ्तारी की मुख्य वजह पत्नी के नाम से मेडिकल स्टोर होना और वहीं से दवा लेने का दबाव बनाना है। डॉक्टर को कोई भी दवा लिखने का पूरा अधिकार है पर किसी दवा विशेष के लिए दवाब बनाना गलत है। डॉ. प्रवीण सोनी के अधिकतर पर्चों पर कोल्ड्रिफ लिखा मिला है। मृत बच्चों के स्वजन ने भी शिकायत की थी कि डॉ. प्रवीण सोनी क्लीनिक के बगल वाले मेडिकल स्टोर से दवा लाने के लिए कहता था। यही शिकायतें उसकी गिरफ्तारी का आधार बनी हैं।
दो खुराक लेने के बाद ही हुई हरे रंग की उल्टी
दो साल की मृत बच्ची योजिका ठाकरे की दादी लता ठाकरे ने बताया कि बच्ची को बुखार आया था, हम उसे डॉ. प्रवीण सोनी के पास लेकर गए। उन्होंने कोल्ड्रिफ कफ सीरप लिखा था। पास के मेडिकल स्टोर से दवा लाकर पहली खुराक भी खुद के सामने दिलवाई। इसके बाद हमें मूत्र मापने के लिए एक पात्र भी दिया था।
कोल्ड्रिफ की दूसरी खुराक देने के बाद बच्ची ने हरे रंग की उल्टी की, जिससे हमें चिंता हुई। डॉ. प्रवीण सोनी के पास गए तो उन्होंने तुरंत नागपुर ले जाने की सलाह दे दी। वहां बच्ची का 24 दिन इलाज चला, हमारे लाखों रुपये खर्च हो गए, पर उसकी जान नहीं बच सकी। |