सेमिनार में लोगों को संबोधित करते राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां। जागरण
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भारतीय मूल्यों, आदर्शों, अध्यात्मिकता और संस्कृति की सबसे सशक्त अभिव्यक्ति की है। हमें यह आत्म अवलोकन करना चाहिए कि क्या हमारा आचरण उन आदर्शों और मूल्यों के मुताबिक है या नहीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
स्वामी जी को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा भारत की स्वाधीनता के प्रश्न पर विवेकानंद ने कहा था कि तीन दिन के भीतर वे भारत की स्वाधीनता सुनिश्चित कर सकते हैं, लेकिन उन्हें चरित्रवान व्यक्ति की खोज है जो उसे सुरक्षित रख सके।वे मंगलवार को बेला स्थित रामकृष्ण मिशन में भारतीय राष्ट्रवाद और विवेकानंद की अंतरदृष्टि पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे।
रामकृष्ण आश्रम में संगोष्ठी का शुभारंभ करते राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां दाएं। जागरण
उन्होंने कहा कि स्वामी जी स्वाधीनता से अधिक चरित्र निर्माण पर बल देते थे। वे ऐसे व्यक्ति और समाज के निर्माण के पक्षधर थे, जो स्वार्थ से उठकर अपने राष्ट्र का निर्माण कर सके। उन्होंने गीता के श्लोक का अर्थ बताते हुए कहा कि मर्यादा का सम्मान किए बगैर चरित्र निर्माण नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन में यह बात बताई गई है कि हर जीव में आत्मा होती है। ऐसे में हमें किसी को भी दुख देने का अधिकार नहीं है।स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि भारत के पास दुनिया को देने के लिए एक संदेश है कि जब तक हम अपने विचार को आचार में नहीं बदलते तब तक प्रचार करने का अधिकार नहीं है।
रामकृष्ण आश्रम में संगोष्ठी में पुस्तक का लोाकार्पण करते राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां। जागरण
संत ही भारत के राष्ट्रवाद के निर्माता, राजनीति विज्ञानी नहीं
विशिष्ट अतिथि और पूर्व राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि संत ही भारत के राष्ट्रवाद के निर्माता हैं राजनीति विज्ञानी नहीं। राजनीति विज्ञान ने राष्ट्रवाद को पश्चिम का गुलाम बना दिया है।
भारतीय संस्कृति और मूल्यों को लेकर उन्होंने कहा कि जो कार्य विश्वविद्यालय का है वह आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और रामकृष्ण मिशन जैसी संस्था कर रही है।varanasi-city-general,Varanasi News,Varanasi Latest News,Varanasi News in Hindi,Varanasi Samachar,Varanasi News,Varanasi Latest News,Varanasi News in Hindi,Varanasi Samachar,October holidays Varanasi,Government employees holidays,Festival season holidays,Varanasi holiday schedule ,Uttar Pradesh news
आज विश्वविद्यालय परिसर के सामने मौलिकता गढ़ने की चुनौती है। जो हम सोचते, देखते और महसूस करते हैं, उसकी भयमुक्त अभिव्यक्ति ही मौलिकता है। जब हम इस भाव से बोलेंगे कि मेरे विचार पर सामने वाला व्यक्ति क्या सोचेगा तब मौलिकता समाप्त हो जाएगी।
राम कृष्ण आश्रम में आयोजित संगोष्ठी में उपस्थित लोग। जागरण
कहा कि भारत और पश्चिम में कोई समानता नहीं है। भारत सभ्यता केंद्रित देश है और पश्चिम राज्य केंद्रित देश। मातृभूमि से अभिप्राय केवल मिट्टी नहीं है। जंगल और पहाड़ नहीं हैं। इसमें लोग आते हैं। हम और आप आते हैं। इसमें हमारी पीढ़ियां और विरासत आते हैं।
इसमें जो सबसे अधिक होगा वह मातृभूमि में पहले स्थान पर होगा। यदि भूमि का आकार सबसे बड़ा है तो उसकी प्राथमिकता होगी। यदि विरासत बड़ी है तो यह प्राथमिकता होगी।
अगर इतिहास विपुल और समृद्ध होगा तो इसकी प्राथमिकता होगी। प्राथमिकता प्रकृति तय करती है। भारत की मातृ भूमि की कोई चौहद्दी नहीं है।
जहां-जहां भारत का विचार जाएगा वह भारतभूमि है। यह राज्य के प्रसार के रूप में नहीं बल्कि विचार के रूप में है। जो स्थानीयता है वही राष्ट्रवाद है।
भारत की विविधता को अपनाते हुए हम भारतीय राष्ट्रवाद को परिभाषित करें। मौलिकता और स्थानीयता के साथ देखते हुए जब हम आगे बढ़ेंगे तब ही हम राष्ट्रवाद को अंगीकार कर सकेंगे।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में बीआरएबीयू के कुलपति प्रो. डीसी राय, प्रो. आरसी सिन्हा, पूर्व डीजीपी डीएन गौतम समेत अन्य शामिल हुए।
स्वामी भावात्मानंद ने सभी को सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय भौतिकी विभाग की अध्यक्ष डा. संगीता ने किया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय इलेक्ट्रानिक्स विभागाध्यक्ष प्रो. संजय कुमार, राजनीति विभागाध्यक्ष प्रो. नीलम कुमारी, डा. भारती सेहता, डा. गौतम चंद्रा, समेत अन्य उपस्थित हुए। |