साबरमती से गुड़गांव के बीच निर्धारित मार्ग पर नहीं चल पाईं वंदे भारत ट्रेनें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पश्चिम रेलवे के अहमदाबाद डिवीजन द्वारा पांच और छह अक्टूबर को साबरमती और गुड़गांव के बीच संचालित दो विशेष वंदे भारत ट्रेन अपने निर्धारित मार्गों पर नहीं चल पाईं। इस संबंध में अहमदाबाद रेल डिवीजन के डिवीजनल रेलवे मैनेजर वेद प्रकाश ने कोई जवाब नहीं दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पश्चिम रेलवे ने चार अक्टूबर को ट्रेन संख्या 09401, साबरमती-गुड़गांव वन-वे वंदे भारत सुपरफास्ट स्पेशल ट्रेन को साबरमती (गुजरात) से गुड़गांव (हरियाणा) तक केवल दो दिनों के लिए संचालित करने की अधिसूचना जारी की थी, जिसमें मेहसाणा, पालनपुर, आबू रोड, मारवाड़, अजमेर, जयपुर, अलवर और रेवाड़ी में ठहराव होगा। अहमदाबाद रेल डिवीजन को ट्रेन सेट की व्यवस्था और चालक दल की तैनाती की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
अधिकारियों ने बताया कि वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) से डबल-स्टैक कंटेनर ट्रेनें माल ढुलाई गलियारों और भारतीय रेलवे नेटवर्क के बीच आवागमन करती हैं, इसलिए ओवरहेड इक्विपमेंट (ओएचई) की ऊंचाई सामान्य पांच मीटर से बढ़ाकर 7.3 मीटर कर दी गई है।
उन्होंने आगे कहा कि हालांकि, साबरमती से गुड़गांव के बीच वन-वे स्पेशल ट्रेनों के रूप में अधिसूचित दो वंदे भारत सुपरफास्ट स्पेशल ट्रेनें 7.3 मीटर ऊंचे ओएचई वाले निर्धारित मार्ग के लिए अनुपयुक्त थीं, क्योंकि उनमें पांच मीटर के ओवरहेड तारों के लिए डिजाइन किया गया लो-राइज पेंटोग्राफ लगा था।
साबरमती से रवाना हुई लेकिन मेहसाणा होकर नहीं गई
पश्चिम रेलवे की अधिसूचना के अनुसार, आठ डिब्बों वाली वंदे भारत ट्रेन को 59.93 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत गति से 14 घंटे और 55 मिनट में 894 किलोमीटर की दूरी तय करनी थी। एक रेलवे अधिकारी ने बताया कि पहली ट्रेन, जो पांच अक्टूबर को शाम 5:30 बजे साबरमती से रवाना हुई थी, मेहसाणा होकर नहीं गई। इसके बजाय इसे अहमदाबाद और उदयपुर के रास्ते भेजा गया। अगले दिन दूसरी स्पेशल ट्रेन समय पर चली, लेकिन उसे छायापुरी और वडोदरा जंक्शन के रास्ते भेजा गया।
15 घंटे के बजाय 28 घंटे में पहुंची गुरुग्राम
उन्होंने आगे कहा कि तकनीकी चूक के लिए इलेक्ट्रिकल कोचिंग, ट्रैफिक कंट्रोलर और ट्रेन के चालक दल जैसे विभागों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि निर्धारित 14 घंटे 55 मिनट के बजाय, ट्रेनों को अपने निर्धारित गंतव्य तक पहुंचने में 20 से 28 घंटे लगे।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ) |