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भदोही का कमाल, बनाया दुनिया का सबसे बड़ा कालीन, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज

LHC0088 2025-10-8 01:06:44 views 1076

  इस उपलब्धि से भारतीय हस्तशिल्प को वैश्विक पहचान मिली है और भदोही का नाम रोशन हुआ है।





जागरण संवाददाता, भदोही। कजाकिस्तान के आस्ताना शहर में स्थित ग्रैंड मस्जिद मध्य एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद है, जिसका भीतरी क्षेत्र 12.46 हजार वर्ग मीटर है। यहां बिछाई गई भदोही की परसियन डिजाइन की हैंड टफ्टेड कालीन विश्व की सबसे बड़ी कालीनों में से एक है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसे गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड में 19 सितंबर 2025 को दर्ज किया गया। इस अद्वितीय कालीन का निर्माण भदोही के पाटोदिया एक्सपोर्ट कंपनी द्वारा किया गया, जिसमें एक हजार बुनकरों ने छह महीने की मेहनत की।



मस्जिद में कालीन बिछाने का कार्य भदोही और दुबई के 50 विशेषज्ञ बुनकरों ने 50 दिनों में पूरा किया। इस कालीन को 125 टुकड़ों में तैयार किया गया था, जिन्हें इस प्रकार बिछाया गया कि यह एक एकल कालीन के रूप में दिखाई दे।

ग्रैंड मस्जिद का निर्माण 2021 में हुआ था, और कालीन बिछाने के लिए अमेरिका और चीन ने भी प्रयास किए थे। लेकिन भदोही के निर्यातक रवि पाटोदिया को इस शर्त पर आर्डर मिला कि वह इसे मस्जिद में बिछवाएं। इस कालीन के निर्माण में 1.5 मिलियन यूएस डालर की लागत आई है।



गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड के लिए आवेदन मार्च 2025 में किया गया था। आवेदन के बाद इसकी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा जांच की गई, जिसमें निर्यातक के उत्पाद को मानक पर खरा पाया गया। 6 अक्टूबर को उन्हें अमेरिका कार्यालय से आनलाइन इसकी जानकारी दी गई।

भदोही की यह उपलब्धि न केवल भारत के हस्तशिल्प उद्योग के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक धरोहर को भी उजागर करती है। इस कालीन के निर्माण में स्थानीय बुनकरों की मेहनत और कौशल का अद्भुत उदाहरण देखने को मिलता है।



भदोही के बुनकरों ने अपनी कला और मेहनत से यह साबित कर दिया है कि वे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता रखते हैं। इस प्रकार की उपलब्धियां न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाती हैं, बल्कि भारतीय हस्तशिल्प को भी वैश्विक मंच पर पहचान दिलाती हैं।

भदोही का यह हैंड टफ्टेड कालीन न केवल एक भव्य सजावट है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक भी है। इस उपलब्धि ने भदोही को विश्व मानचित्र पर एक नई पहचान दी है, जो आने वाले समय में और भी नई ऊंचाइयों को छूने की क्षमता रखती है।



भदोही ने एक बार फिर साबित किया है कि भारतीय हस्तशिल्प की कोई तुलना नहीं है, और यह विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सक्षम है।
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