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दिन-रात किया जाएगा दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे की मरम्मत का कार्य, गठित की गई अलग-अलग टीमें

deltin33 2025-10-6 07:36:20 views 962

  दिन-रात किया जाएगा दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे की मरम्मत का कार्य





आदित्य राज, गुरुग्राम। दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे की मरम्मत का कार्य दिन-रात किया जाएगा। इसके लिए अलग-अलग टीमें बनाई जाएंगी। दिन में उन जगहों पर काम किया जाएगा, जहां पर ट्रैफिक का दबाव कम रहता है। इससे तेजी से काम हो सकेगा। सबसे पहले रेलिंग को ठीक करने के साथ ही मुख्य मार्ग से लेकर सर्विस लेन की मरम्मत का काम शुरू किया जाएगा। बाद में लोहे की रेलिंग की जगह सीमेंट की रेलिंग बनाई जाएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



अगले दो साल के भीतर एक्सप्रेसवे को इस तरह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कर दिया जाएगा कि ताकि आने वाले समय में जितनी दूरी लोग तय करेंगे, उसके हिसाब से अपने आप ही टोल की राशि एकाउंट से कट जाएगी। टोल प्लाजा फ्री एक्सप्रेसवे बनाने को ध्यान में रखकर सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

एनसीआर में सबसे अधिक ट्रैफिक का दबाव दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर है। द्वारका एक्सप्रेसवे के बनने के बाद एक लाख वाहनों का दबाव कम हाे चुका है, इसके बाद भी दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर पीक आवर के दौरान वाहन रेंगते रहते हैं। ट्रैफिक के भारी दबाव की वजह से एक्सप्रेसवे की मरम्मत का काम दिन में नहीं हो पाता है। न केवल जाम लगने की आशंका रहती है बल्कि हादसा भी होने का अंदेशा रहता है।



कुछ साल पहले एक्सप्रेसवे की सफाई कर रहे एक कर्मचारी को वाहन ने कुचल दिया था। इसे देखते हुए एक्सप्रेसवे की मरम्मत का काम दिन-रात किया जाएगा। दिन में कहां-कहां काम किया जा सकता है, उन जगहों को चिन्हित किया जाएगा। रात में कहीं भी काम किया जाएगा। इससे काम भी तेजी से होगा और जाम लगने या हादसा होने की आशंका भी नहीं रहेगी।

बता दें कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे को पूरी तरह दुरुस्त करने की योजना बनाई है। योजना पर काम शुरू करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि 20 अक्टूबर के बाद काम शुरू हो जाएगा। एनएचएआइ के अधिकारी का कहना है कि जल्द से जल्द एक्सप्रेसवे की मरम्मत का काम पूरा करने का प्रयास होगा। इस तरह से काम किया जाएगा ताकि अगले कुछ साल तक कहीं परेशानी सामने न आए।


30 से अधिक जगह टूटी है रेलिंग

धौलाकुआं के नजदीक से लेकर खेड़कीदौला टोल प्लाजा तक दिल्ली-जयपुर हाईवे का 28 किलोमीटर का हिस्सा दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे है। एक्सप्रेसवे के गुरुग्राम इलाके में एक्सप्रेसवे की हालत दयनीय है। 30 से अधिक जगह रेलिंग टूटी हुई है। इसकी वजह से लोग ही नहीं बल्कि घुमंतू पशु कहीं से भी एक्सप्रेसवे पर पहुंच जाते हैं। इस वजह से अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं।



लगभग सभी एंट्री और एग्जिट सही नहीं है। किसी की चौड़ाई कम है तो किसी की अधिक। अवैध कटों की भरमार है। सबसे अधिक हादसे अवैध कटाें की वजह से होते हैं। हीरो होंडा चौक से लेकर खेड़कीदौला टोल प्लाजा के नजदीक तक सर्विस लेन पूरी तरह जर्जर है। हीरो होंडा चौक फ्लाईओवर के जयपुर-दिल्ली साइड का कुछ हिस्सा कई महीनों से बंद है।
सिरहौल बार्डर से तीन लाख वाहन गुजरते हैं

दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक के दबाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिरहौल बार्डर से प्रतिदिन औसतन तीन लाख से अधिक वाहन गुजरते हैं। द्वारका एक्सप्रेसवे चालू होने से पहले प्रतिदिन औसतन चार लाख से अधिक वाहन गुजरते थे। तीन लाख में से केवल प्रतिदिन औसतन 65 हजार वाहन ही खेड़कीदौला टोल प्लाजा क्रास करते हैं यानी बाकी वाहन सिरहौल बार्डर से लेकर खेड़कीदौला टोल प्लाजा के बीच में ही रह जाते हैं।



शहर के भीतर व अन्य इलाकों की सड़कों से होकर जो वाहन एक्सप्रेसवे पर आते हैं, उनकी संख्या तीन लाख में शामिल नहीं है। जानकार बताते हैं कि एक्सप्रेसवे प्रतिदिन औसतन लगभग दो लाख वाहनों के हिसाब से डिजाइन किया गया था। समय पर वैकल्पिक सड़कों के निर्माण पर ध्यान नहीं दिया गया इस वजह से इसके ऊपर ट्रैफिक का दबाव दोगुना से अधिक हो गया। दबाव कम करने के लिए एक्सप्रेसवे को एलिवेटेट करना ही होगा, दूसरा कोई चारा नहीं है। केवल मरम्मत करने से काम नहीं चलेगा।



दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे एनसीआर का ही नहीं बल्कि देश का सबसे व्यस्ततम एक्सप्रेसवे होगा। यदि तीन लाख वाहन केवल सिरहौल बार्डर क्रास करते हैं फिर कितने वाहन एक्सप्रेसवे पर पहुंचते हैं। इस वजह से इसकी मरम्मत करने में दिक्कत आती है। रास्ता बंद कर काम नहीं किया जा सकता क्योंकि वैकल्पिक रास्ता दूसरा नहीं। ऐसे में दिन-रात आठ-आठ घंटे का शिफ्ट तैयार कर काम करना ही पड़ेगा अन्यथा छोेटे-छोटे कार्य पूरा करने में महीनों लग जाएंगे।  - आरएस यादव, सेवानिवृत अधीक्षण अभियंता, लोक निर्माण विभाग व पूर्व टीम लीडर, एनएचएआई
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