... और सुस्त पड़ गई छात्रों को निपुण बनाने की उमंग।  
 
  
 
  
 
जागरण संवाददाता, गोंडा। कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को दो वर्ष में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करने अनिवार्य किया गया है। इसको लेकर जिले में तैनात लगभग साढ़े तीन हजार शिक्षक विद्यालय अवधि के बाद वह टीईटी पास करने के लिए कोचिंग जाकर तैयारी कर रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
दो वर्ष में टीईटी पास करने की बाध्यता के कारण शिक्षकों का मन विद्यालय को निपुण बनाने के बजाए अपनी नौकरी बचाने में लग गया है इससे विद्यालय को निपुण बनाने की गति धीमी पड़ गई है।  
 
  
 
जो शिक्षक कुछ दिन पहले तक स्कूल को निपुण बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे थे, उनका उमंग सुस्त पड़ गया है। जिले में 2609 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। इनमें तीन लाख दस हजार विद्यार्थी पंजीकृत हैं।  
 
सुप्रीम कोर्ट ने कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को दो वर्ष में शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने की अनिवार्यता की है। टीईटी न पास करने पर शिक्षकों की नौकरी पर संकट के बादल हैं। ऐसे में शिक्षक संगठन के नेता टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ लड़ेंगे भी और पढ़ेंगे भी का नारा दे रहें हैं।  
 
  
 
एक तरफ जिले के सभी परिषदीय विद्यालयों को निपुण बनाने की तैयारी चल रही हैं, वहीं टीईटी की अनिवार्यता से शिक्षकों का ध्यान बट गया है। जो शिक्षक अभी विद्यालय को निपुण बनाने का प्रयास कर कार्रवाई में जुटे थे वही अब अपनी परीक्षा पास करने की कवायद में जुट गए हैं।  
 
शिक्षक नेता अनूप सिंह व सतीश पांडेय ने कहा कि वह सब आंदोलन के साथ ही टीईटी की तैयारी भी कर रहे हैं। सिविल लाइंस स्थित एक कोचिंग संस्थान में लगभग 100 शिक्षक टीईटी की तैयारी कर रहे हैं। इसी तरह जिले के विभिन्न कोचिंग संस्थानों में प्रवेश लेकर लगभग दो हजार शिक्षक टीईटी पास करने की तैयारी कर रहे हैं। |