रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच स्वास्थ्य बीमा सब्सिडी को लेकर तीखी जंग छिड़ी है।  
 
  
 
  
 
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में सरकारी कामकाज ठप हुए 24 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन राजनीतिक गतिरोध का कोई हल नहीं निकल रहा है।  
 
रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच स्वास्थ्य बीमा सब्सिडी को लेकर तीखी जंग छिड़ी है। इस वजह से लाखों सरकारी कर्मचारियों को बेरोजगार कर दिया और पेनसिल्वेनिया के लिबर्टी बेल से लेकर हवाई के पर्ल हार्बर तक के ऐतिहासिक स्थलों को बंद करवा दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
डेमोक्रेट्स का कहना है कि अफोर्डेबल केयर एक्ट की सब्सिडी जरूरी है ताकि बीमा प्रीमियम न बढ़े, जबकि रिपब्लिकन इसे आप्रवासन और स्वास्थ्य सेवा से जुड़ा “हैंडआउट“ बताकर खारिज कर रहे हैं।  
 
  
 
इस टकराव में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेट्स पर अमेरिकी जनता को बंधक बनाने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, डेमोक्रेट्स का कहना है कि ट्रंप जनता को मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। कोई समझौता न होने से सरकारी फंडिंग खत्म हो गई और देश एक बार फिर शटडाउन की चपेट में है।  
शटडाउन का कारण क्या है?  
 
यह संकट तब शुरू हुआ जब सीनेट डेमोक्रेट्स ने अल्पकालिक खर्च बिल का समर्थन करने से इनकार कर दिया, क्योंकि इसमें अफोर्डेबल केयर एक्ट की सब्सिडी के लिए फंडिंग शामिल नहीं थी। डेमोक्रेट्स का तर्क है कि सब्सिडी के बिना लाखों परिवारों को भारी बीमा प्रीमियम का बोझ उठाना पड़ेगा।  
 
  
 
दूसरी ओर, रिपब्लिकन इसे “ओबामाकेयर“ का विस्तार बताकर इसका विरोध कर रहे हैं। ट्रंप ने साफ कहा है कि वह डेमोक्रेट्स की मांगों को स्वीकार नहीं करेंगे। कुछ मध्यमार्गी सीनेटर बातचीत को तैयार हैं, लेकिन दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है।  
 
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गए हैं। ट्रंप प्रशासन ने डेमोक्रेट्स पर “अवैध आप्रवासियों के स्वास्थ्य बीमा को प्राथमिकता“ देने का आरोप लगाया है। इसे डेमोक्रेट्स ने झूठा करार दिया। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और सीनेट डेमोक्रेटिक नेता चक शूमर के बीच तीखी बयानबाजी चल रही है।Tata Teleservices Stock, Tata Teleservices Stock Price, Tata Teleservices Share Price, Stock Market News, Business News     
 
  
हर दिन कितना हो रहा नुकसान?  
 
कांग्रेसनल बजट ऑफिस के अनुसार, यह शटडाउन हर दिन करीब 40 करोड़ डॉलर का नुकसान पहुंचा रहा है। लगभग 7.5 लाख सरकारी कर्मचारी बिना वेतन के छुट्टी पर हैं, जबकि सेना, सीमा सुरक्षा और हवाई यातायात नियंत्रक जैसे आवश्यक कर्मचारी बिना तनख्वाह के काम कर रहे हैं।  
 
शटडाउन से सरकारी अनुबंध, प्रोजेक्ट और उपभोक्ता खर्च प्रभावित हो रहे हैं। इससे अर्थव्यवस्था को झटका लग रहा है। लंबा शटडाउन निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है और विकास को बाधित कर सकता है।  
 
  
रोजमर्रा के किन चीजों पर पड़ा रहा है असर?  
 
कर्मचारियों के लिए यह संकट और गहरा है। ट्रंप ने संकेत दिया है कि इस बार फर्लो का इस्तेमाल स्थायी छंटनी के लिए हो सकता है, जिससे कर्मचारियों में बेचैनी बढ़ गई है। खासकर शिक्षा विभाग जैसे क्षेत्रों में, जहां कर्मचारी पहले ही आधे हो चुके हैं, मिस्ड पेचेक से परिवारों की आजीविका खतरे में है।  
 
आवश्यक सेवाएं जैसे सेना, मेडिकेयर और मेडिकेड जारी हैं, लेकिन कई नागरिक सेवाएं ठप हैं। राष्ट्रीय उद्यान, संग्रहालय और स्मारक बंद हैं, जिनमें मिसूरी का गेटवे आर्च और बोस्टन का जॉन एफ. कैनेडी लाइब्रेरी शामिल हैं।  
 
  
 
यह शटडाउन न केवल कर्मचारियों, बल्कि आम नागरिकों और पर्यटकों के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर रहा है। दोनों पक्षों के बीच समझौते की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही और यह गतिरोध देश के लिए महंगा साबित हो रहा है।  
 
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