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गांवों के विकास के लिए गुजरात राजभवन मॉडल को अपनाएगा हरियाणा, दो लाख एकड़ में होगी प्राकृतिक खेती

cy520520 2025-11-20 23:07:37 views 1015

  

गुजरात राजभवन मॉडल को अपनाएगा हरियाणा। फोटो- सीएम एक्स



राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। गुजरात व महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बीच बृहस्पतिवार को चंडीगढ़ में गांवों के विकास के सकारात्मक दृष्टिकोण पर लंबी बातचीत हुई। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को गांवों के विकास का राजभवन माडल समझाया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

राज्यपाल गुजारत में हर सप्ताह कम से कम एक गांव में जाते हैं और वहां लोगों के बीच रहते हैं। गांव वालों को अहसास कराते हैं कि संवैधानिक पद के नाते भले ही वह गुजरात के राज्यपाल हैं, लेकिन सबसे पहले इंसान हैं। अपने आसपास के वातारण को स्वच्छ, सुंदर और पर्यावरण अनुकूल बनाना बेहद जरूरी है।

राज्यपाल के इस राजभवन माडल से हजारों लोग अपनी दिनचर्या में बदलाव ला चुके हैं। आचार्य देवव्रत ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को सुझाव दिया कि पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भले ही गांवों में रात बिताने जाएं, लेकिन राजनेताओं को भी गांवों में जाकर लोगों के बीच बैठना चाहिए, कुछ उनकी सुननी चाहिए, कुछ उन्हें बताना चाहिए।

बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का पता नहीं होता, उन योजनाओं पर चर्चा की जाए और लोगों को समझाया जाए कि किस तरह से वे लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

आचार्य देवव्रत मूल रूप से पानीपत जिले के समालाख स्थित गांव पावती के रहने वाले हैं। गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संरक्षक के नाते आज भी स्वयं खेती करते हैं और पूरे देश में घूम-घूमकर किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक बना रहे हैं।

गुरुकुल कुरुक्षेत्र में करीब 250 एकड़ में आचार्य देवव्रत का प्राकृतिक खेती का कृषि फार्म है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आचार्य देवव्रत की गांवों में लोगों के बीच जाने की पहल की सराहना की। राज्यपाल ने पांच अगस्त से यह अभियान शुरू किया था। करीब साढ़े तीन माह में आचार्य देवव्रत डेढ़ दर्जन गांवों का दौरा कर चुके हैं।  
जिस घर में खाना, उस परिवार को राजभवन की सैर

राज्यपाल गांवों में लोगों के घर खाना खाते हैं, शाम को चौपाल पर गांव वालों से बात करते हैं, उनकी जमीन, बच्चों की शिक्षा और रोजगार की जानकारी प्राप्त करते हैं, किसानों को समझाते हैं कि प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल जरूरी है, गाय पालने के लिए प्रेरित करते हैं और गायों की नस्ल सुधार की प्रेरणा देते हैं।

बताते हैं कि उनके स्वयं के पास 400 गाय हैं, जिनका नस्ल सुधार हुआ है। रात को स्कूल में रुकते हैं और सुबह को गाय का दूध स्वयं निकालते हैं, कई बात को खेतों में हल जोतने चले जाते हैं। फिर सड़कों पर सफाई करने निकल पड़ते हैं।  
ग्रामीण कम से कम एक घंटा सफाई के लिए निकालें

आचार्य देवव्रत लोगों से कहते हैं कि वे कम से कम एक घंटा अपने गांव की सफाई जरूर करें। रासायनिक खादों का इस्तेमाल बंद कर दें। आचार्य देवव्रत प्राकृतिक खाद बनाने का तरीका भी लोगों को बताते हैं। हरियाणा सरकार ने करीब दो लाख एकड़ जमीन में प्राकृतिक खेती का लक्ष्य निर्धारित किया है।

राज्यपाल ने प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को देसी गाय की खरीद पर 30 हजार रुपये का अनुदान देने की पहल की सराहना की। राज्यपाल ने चर्चा के दौरान बताया कि जिस व्यक्ति के घर में वे खाना खाते हैं, उसे उनकी सुविधा के अनुसार राजभवन आमंत्रित करते हैं। राज्यपाल का यह प्रयास गुजरात में बदलाव प्रेरणा दे रहा है।
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