cy520520 • 2025-11-15 06:35:48 • views 1021
तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के लिए यह चुनाव उम्मीदों के विपरीत साबित हुआ। तेजस्वी यादव के अगुवाई में 143 सीटों पर उतरी पार्टी सिर्फ 25 सीटें जीतने में कामयाब हो सकी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस चुनाव में राजद को पिछल बार के चुनाव के मुकाबले काफी नुकसान उठाना पड़ा। 2020 के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी राजद इस बार 25 सीटों पर ही सिमट गई, जो कि पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने राजद के इतिहास का दूसरा सबसे कमजोर प्रदर्शन दर्ज किया है। 2005 में जब नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए ने भारी बहुमत हासिल किया था, तब राजद को 55 सीटों पर संतोष करना पड़ा था।
उस समय राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं और पार्टी सत्ता-विरोधी लहर से घिरी हुई थी। इसके बाद 2010 के चुनाव में राजद ने सबसे खराब प्रदर्शन किया था। इस चुनाव में पार्टी को महज 22 सीटें मिली थीं।
लगभग बीस साल और कई राजनीतिक फेरबदल के बाद, नीतीश कुमार ने एक बार फिर भाजपा के साथ हाथ मिला लिया है और दोनों दलों के गठबंधन ने इस बार 243 में से 202 सीटों पर शानदार जीत हासिल की है।
आंकड़े बताते हैं कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी को अब तक की सबसे कड़ी हार झेलनी पड़ी है। तेजस्वी, अपने पिता लालू प्रसाद यादव की स्थापित पार्टी को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। लालू यादव ने 1997 में राजद की नींव रखी थी और पार्टी को उसके सबसे सुनहरे चुनावी नतीजे दिलाए थे।
दिलचस्प बात यह है कि चुनाव में करारी शिकस्त के बावजूद राजद का वोट शेयर सभी दलों में सबसे अधिक 23 प्रतिशत रहा। इसका संकेत है कि पार्टी ने कुछ सीटों पर बेशक भारी बढ़त से जीत दर्ज की, लेकिन करीबी मुकाबलों को जीत में बदलने में चूक गई। |
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