यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Maa Durga Visarjan: लगातार नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना के बाद यानी 10वें दिन उन्हें विसर्जित करना पड़ता है। इस वर्ष 2 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी के दिन दोपहर 02.56 बजे तक यह किया जा सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आध्यात्मिक गुरु पंडित कमलापति त्रिपाठी प्रमोद ने कहा कि भक्त विसर्जन से पहले देवी दुर्गा को धन्यवाद कहते हैं। उसके बाद षोडशोपर पूजन के बाद रोली, फूल, मिठाई आदि अर्पित करते हैं। उसके बाद मां की आरती की जाती है।
इसके बाद माता को सिंदूर लगाते हैं। उसके बाद ढोल-नगाड़ों के साथ मूर्ति को किसी पवित्र नदी या तालाब में प्रवाहित कर देते हैं। पूजा के दौरान स्थापित कलश को भी विसर्जित करते हैं। कलश के जल को घर में छिड़कना चाहिए।
उसके बाद भी यदि जल बच जाए तो उसको पीपल के पेड़ पर डालना चाहिए। जबकि नारियल व सिक्के को लाल कपड़े में बांधकर घर के मंदिर या तिजोरी में रखना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इससे माता की कृपा बनी रहती है। धन्य-धान्य में बढ़ोतरी होती है।
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विसर्जन विधि
इस दिन मां जया और विजया के पूजन के साथ शम्मी और अपराजिता का पूजन कर माता से विजय और अपराजेय होने का आशीर्वाद लें। विसर्जन से पहले मां दुर्गा को घर आने के लिए धन्यवाद कहना चाहिए।
श्रद्धापूर्वक अर्पण: रोली, अक्षत, फल, फूल, मिठाई और वस्त्र अर्पित करें और श्रद्धा से भगवती की शक्तियों की आरती करें। मां दुर्गा को सिन्दूर अर्पित करें और परिवार के सदस्यों को सिन्दूर लगाएं।
ढोल-नगाड़ों और जयकारों के साथ माता रानी के जयघोष के बीच मूर्ति को उठाएं। मूर्ति को किसी पवित्र नदी या तालाब में प्रवाहित कर दें। कलश और सामग्री का विसर्जन कलश के जल का आम के पत्तों से घर में छिड़काव करें और बाकी जल को किसी पौधे या गमले में डाल दें।
यह जल पूरे घर में और परिवार के सदस्यों पर भी छिड़कना चाहिए। कलश के ऊपर रखा नारियल घर की विवाहित महिला को दे दें या फिर इसे लाल कपड़े में बांधकर घर के मंदिर में रख सकते हैं। कलश में डाला गया सिक्का निकाल कर उसे लाल कपड़े में बांधकर घर या दुकान की तिजोरी में रखें।
अक्षत को घर के मुख्य द्वार पर लाल कपड़े में बांधकर टांग दें। इससे नकारात्मक शक्तियों से बचाव होता है। आपने ज्वारे बोए हैं तो उन्हें अपने कान पर रखें। इसके बाद किसी पवित्र नदी या तालाब में विसर्जित करें।
विसर्जन का महत्व
- विसर्जन के माध्यम से मां दुर्गा की विदाई की जाती है, जो उनकी वापसी कैलाश पर्वत पर उनके पति भगवान शिव के पास होने का प्रतीक है।
- यह पर्व हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है और हमें अपने जीवन में सकारात्मकता और धैर्य बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
- विसर्जन के दौरान लोग अपने प्रियजनों के साथ मिलकर जश्न मनाते हैं और मां की कृपा की कामना करते हैं।
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