इस उम्र में बेस्ट परफॉर्मेंस देता है आपका ब्रेन (Image Source: AI-Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। “युवा दिमाग सबसे तेज होता है।“ – क्या आप भी यही मानते हैं? जी हां, सालों से हम अब तक यही सुनते आए हैं कि तेज सीखने और सोचने की कला सिर्फ जवानी तक ही सीमित है। हमने हमेशा यही समझा कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमारी बुद्धि कमजोर होने लगती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हालांकि, अब विज्ञान की दुनिया से एक हैरान कर देने वाला \“यू-टर्न\“ आया है। दरअसल, यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया की ताजा स्टडी ने इस पुरानी सोच को जड़ से बदल दिया है। उनका चौंकाने वाला निष्कर्ष है- आपका दिमाग 25 साल की उम्र में नहीं, बल्कि 55 से 60 साल की उम्र के बीच अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (Best Performance) पर पहुंचता है। आइए, विस्तार से जानते हैं इस नई स्टडी के बारे में।
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उम्र बढ़ने पर \“कमजोर\“ नहीं, \“समझदार\“ होता है दिमाग
अक्सर लोग सोचते हैं कि बूढ़े होने पर दिमाग कमजोर हो जाता है, पर यह सच नहीं है। जर्नल इंटेलिजेंस में प्रकाशित इस नए अध्ययन के अनुसार, जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारा दिमाग सिर्फ अनुभव जमा नहीं करता, बल्कि वह उन्हें अच्छी तरह से समझने और सही फैसले लेने के काम में लगाता है।
जवान लोगों में भले ही तेज एनर्जी और तुरंत जवाब देने की क्षमता होती है, लेकिन 40-50 की उम्र के बाद सोचने का तरीका ज्यादा शांत, समझदार और सही हो जाता है।
बेहतरीन फैसले 55 के बाद
वैज्ञानिकों का कहना है कि शरीर की सबसे ज्यादा ताकत 25 से 35 साल की उम्र में होती है, लेकिन असली समझदारी, अनुभव और अच्छे निर्णय लेने की ताकत 55 साल के बाद दिखाई देती है। इस उम्र में लोग किसी भी बात पर केवल भावनाओं से नहीं, बल्कि पक्के अनुभव और ठोस सोच से विचार करते हैं।
हर उम्र में दिमाग की क्षमता होती है अलग
- 20 से 30 साल: यह उम्र चीजों को जल्दी सीखने, याद रखने और तुरंत फैसले लेने के लिए सबसे अच्छी है।
- 35 से 45 साल: इस दौरान किसी भी बात की गहराई में जाना और परिस्थिति को समझना बेहतर होता है।
- 45 से 60 साल: इस समय सही फैसला लेने की क्षमता और समझदारी का बेहतरीन तालमेल बनता है।
- 60 से 75 साल: भावनात्मक रूप से स्थिरता आती है और गुस्सा या तनाव पर नियंत्रण बढ़ जाता है।
- 75 के बाद: सही-गलत की पहचान और भी ज्यादा साफ हो जाती है।
55 की उम्र में दिमाग सबसे तेज क्यों?
मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि 55 साल तक व्यक्ति के पास काफी अनुभव होता है, उसने असफलताओं से बहुत कुछ सीखा होता है, और उसे समाज की अच्छी समझ होती है। इन सभी चीजों के मिलने से, उनके सोचने का तरीका बेहतर और उनके फैसले गहरे होते हैं। इसीलिए इस उम्र के लोग मुश्किल हालात में भी शांत रहते हैं और जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेते।
समझदारी बढ़ती है, कम नहीं होती
भले ही यह माना जाता है कि बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त कम हो जाती है, पर सच यह है कि दिमाग अलग तरीके से काम करना शुरू कर देता है। वह अब केवल चीजों को याद रखने के बजाय, उन्हें समझने और आपस में जोड़ने पर ज्यादा जोर देता है। यानी सोचने का तरीका बदल जाता है, समझदारी कम नहीं होती।
असली ताकत है अनुभव
50 साल के बाद इंसान जीवन के कई उतार-चढ़ाव देख चुका होता है। रिश्तों, काम और समाज के अनुभव उसके फैसलों को ज्यादा व्यावहारिक और टिकाऊ बनाते हैं। इसलिए, इस उम्र में लिए गए फैसले दूर की सोचने वाले साबित होते हैं।
यह अध्ययन बताता है कि उम्र बढ़ना कोई कमजोरी नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक विकास है। जवान लोगों के पास जहां ऊर्जा होती है, वहीं समझदार उम्र में व्यक्ति के पास ज्ञान और विवेक का अद्भुत मिश्रण होता है। ऐसे में, अगली बार जब कोई कहे कि “अब तो आपकी उम्र हो गई है“, तो आप मुस्कुराकर कह सकते हैं- “हां, अब तो मेरा दिमाग अपने सबसे बेहतरीन दौर में है।“
Source: Journal Intelligence
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