उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन की नवंबर में मांगी गई तीन हजार मेगावाट बिजली खरीद की अनुमति पर राज्य विद्युत नियामक आयोग ने रोक लगा दी है। आयोग ने कारपोरेशन से पूरी योजना, औचित्य, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की स्वीकृति और विस्तृत कार्ययोजना मांगी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पिछले दो वर्षों में पावर कारपोरेशन ने करीब 21 हजार मेगावाट बिजली खरीद के लिए समझौता पत्र (पीपीए) तैयार किए हैं। इनमें कुछ पर टेंडर प्रक्रिया चल रही है और कुछ प्रस्ताव लंबित हैं। हाल ही में कारपोरेशन ने एक हजार मेगावाट मीडियम पीक समर और दो हजार मेगावाट लांग टर्म पीक समर बिजली खरीद के लिए नया समझौता पत्र पेश किया, जिस पर आयोग ने गंभीर सवाल उठाते हुए प्रक्रिया को स्थगित कर दिया।
आयोग ने पूछा है कि इतनी बड़ी मात्रा में बिजली खरीद की आवश्यकता क्या है और इसके पीछे स्पष्ट योजना क्या है। जानकारी के अनुसार, कारपोरेशन की पाइपलाइन में मौजूद बिजली खरीद प्रस्तावों में दो हजार मेगावाट सोलर, तीन हजार मेगावाट पंप स्टोरेज प्लांट, चार हजार मेगावाट हाइड्रो, चार हजार मेगावाट डीबीएफवो और 625 मेगावाट बैटरी स्टोरेज जैसी परियोजनाएं शामिल हैं।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि एक ओर पावर कारपोरेशन 42 जिलों के निजीकरण की तैयारी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर बिजली खरीद रहा है, जिसका कोई औचित्य नहीं दिखता। उन्होंने कहा कि सरकार को इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय या सीबीआई जांच करानी चाहिए। सवाल उठाया कि जो निगम पहले महंगी बिजली के पुराने करारों को लेकर शिकायत करता था, वही अब 25 वर्ष के लिए नए करारों पर इतनी तेजी से हस्ताक्षर क्यों कर रहा है। इसका जवाब जनता को दिया जाना चाहिए। |