सुदूर समुद्र में चीन की नौसैनिक ताकत का प्रतीक बनेगा फुजियान (फोटो- एक्स)
जागरण रिसर्च, नई दिल्ली। चीन ने हाल ही में अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान को अपनी नौसेना में शामिल कर लिया है। 6 नवंबर 2025 को हैनान प्रांत के सान्या शहर में एक भव्य समारोह में हुआ। इस समारोह में राष्ट्रपति शी चिनफिंग खुद मौजूद थे। यह चीन का सबसे बड़ा और आधुनिक एयरक्राफ्ट कैरियर है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी मदद से चीन सुदूर समुद्र में कैरियर तैनात करके अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर सकेगा। आधुनिक लांच सिस्टम से है लैस फुजियान को जून 2022 में लांच किया गया था। इसका नाम फुजियान प्रांत के नाम पर रखा गया है। यह चीन का पहला कैरियर है जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट सिस्टम (ईएमएएलएस) लगा है।
यह सिस्टम विमान को पूरी ईंधन क्षमता और हथियारों के साथ उड़ान भरने में सक्षम बनाता है। इससे विमान की रेंज बढ़ती है और विमान ज्यादा दूरी तक हमला कर सकता है। इसकी मदद से विमान कम समय में उड़ान भर सकता है।
फुजियान की लंबाई करीब 300 मीटर और वजन 80,000 टन है। इस पर 50 से ज्यादा विमान तैनात किए जा सकते हैं। तेजी से बढ़ रही चीनी नौसेना की क्षमता चीन का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर लियाओनिंग रूसी मूल का है और इसे 2012 में नौसेना में शामिल किया गया था।
वहीं दूसरा कैरियर शांडोंग पूरी तरह से स्वदेशी है और इसे 2019 में चीन ने अपनी नौसेना में शामिल किया था। ये दोनों कैरियर एसटीओबीएआर तकनीक वाले और छोटे हैं। चीन की नौसेना तेजी से अपनी क्षमता बढ़ा रही है।
पिछले 10 वर्षों में चीन ने तीन कैरियर बना लिए हैं और चौथे कैरियर टाइप-004 पर काम चल रहा है। दुनिया में कुल 47 कैरियर हैं, जिनमें अमेरिका के पास सबसे ज्यादा 11 हैं। चीन अब संख्या के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है, जिसमें 356 से ज्यादा जहाज, पनडुब्बियां हैं।
परमाणु ऊर्जा से चलेगा चौथा कैरियर चीन का चौथा कैरियर परमाणु ऊर्जा से चलेगा। इसमें 70-100 विमान और हेलीकॉप्टर रखे जा सकेंगे। चीन का लक्ष्य 2030 तक 460 जहाजों की नौसेना बनाना है।
परमाणु ऊर्जा से चलने वाले कैरियर को बार बार ईंधन लेने की जरूरत नहीं पड़ती है और यह वर्षों तक परमाणु ऊर्जा से चल सकते हैं। वहीं, परंपरागत ऊर्जा से चलने वाले कैरियर को एक तय दूरी तय करने के बाद ईंधन लेना पड़ता है।
हिंद महासागर और अरब सागर में बढ़ेगी चीन की मौजूदगी
फुजियान के संचालन के साथ चीन भारत के निकटवर्ती क्षेत्र हिंद महासागर और अरब सागर में विमानवाहक पोतों की तैनाती का विस्तार भी कर सकता है। चीन के नौसैनिक अड्डे अफ्रीका के जिबूती और पाकिस्तान के ग्वादर में हैं, इसके अलावा श्रीलंका में वाणिज्यिक बंदरगाह हंबनटोटा भी चीन के पास है। इसके अलावा सूदूर समुद्र में चीन की नौसेना अपनी गतिविधियां बढ़ा सकती है।
भारत भी बढ़ा रहा है नौसेना की क्षमता
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी और उसकी नौसैना के तेज विस्तार को ध्यान में रखते हुए भारत भी अपनी नौसेना की क्षमता को बढ़ा रहा है। अभी भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं।
1- पहला आइएनएस विक्रमादित्य है। इसे रूस से 2013 में लिया गया।
2- दूसरा कैरियर आइएनएस विक्रांत है, जो भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है।
नौसेना में होंगे 230 जहाज
भारतीय नौसेना आत्मनिर्भर भारत के तहत 2047 तक पूरी तरह स्वदेशी तकनीक वाली नौसेना बनने का प्रयास क रही है। भारतीय नौसेना में अभी 150 जहाज और पनडुब्बियां हैं। साथ ही 143 विमान, 130 हेलीकाप्टर हैं। नौसेना का लक्ष्य 2037 तक जहाजों की संख्या बढ़ा कर 230 तक पहुंचाना है। |