हाईकोर्ट ने कहा किबुनियादी सुविधाओं की अनुपस्थिति वकीलों और वादियों के लिए असुविधाजनक है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने शुक्रवार को न्यायालय परिसर के विस्तार और पुनर्विकास से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा करते हुए प्रशासन को सार्वजनिक शौचालयों और ढके हुए पैदल मार्गों की तत्काल व्यवस्था करने के आदेश दिए। अदालत ने कहा कि इन बुनियादी सुविधाओं की अनुपस्थिति वकीलों और वादियों, दोनों के लिए असुविधाजनक है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान बार एसोसिएशन और चंडीगढ़ प्रशासन के तर्क सुने। बार ने बताया कि हेरिटेज काॅम्प्लेक्स के पीछे वकीलों और वादियों के उपयोग किए जाने वाले क्षेत्र में फिलहाल कोई सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध नहीं है। पहले बार एसोसिएशन द्वारा इस्तेमाल की गई जगह पहले ही इस उद्देश्य के लिए प्रशासन को सौंप दी गई थी, लेकिन अब तक कोई निर्माण शुरू नहीं हुआ।
बार की ओर से यह भी कहा गया कि कच्चे (अस्थायी) पार्किंग क्षेत्र और गेट नंबर 1 के बीच एक ढका हुआ पैदल मार्ग बनाया जाना जरूरी है, ताकि लोग बारिश, सर्दी और गर्मी में बिना परेशानी के अदालत तक पहुंच सकें। इसी तरह, वकीलों के चैंबर और गेट नंबर 4 के बीच एक दूसरा ढका हुआ गलियारा बनाए जाने की भी मांग रखी गई।
केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित झांजी ने अदालत को बताया कि उन्हें हाल ही में सार्वजनिक शौचालय के लिए तय की गई जगह की जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि प्रशासन हितधारकों से चर्चा करके एक सप्ताह में शौचालय और ढके हुए रास्तों के लिए व्यवहार्य समाधान तैयार करेगा। यदि स्थायी स्थान तुरंत उपलब्ध नहीं होता, तो अस्थायी ढांचे पर भी विचार किया जाएगा।
दो माह में पूरा होगा पार्किंग का काम
पीठ ने अदालत परिसर की पार्किंग व्यवस्था पर भी चर्चा की। बताया गया कि कच्चे पार्किंग क्षेत्र में काम जारी है और इसे अगले दो महीनों में पूरा कर लिया जाएगा। बार एसोसिएशन ने बताया कि रॉक गार्डन की ओर स्थित अस्थायी पार्किंग को उसने अपने खर्चे पर समतल कराया है, लेकिन पुनर्विकास कार्य शुरू होने के बाद वहां पक्की पार्किंग की आवश्यकता होगी। अदालत ने प्रशासन को निर्देश दिया कि जब मुख्य पार्किंग क्षेत्र बंद किया जाए, तब वैकल्पिक पार्किंग समाधान पहले से तैयार हों।
कुछ न्यायाधीशों को अब तक नहीं मिला आवास
सुनवाई के दौरान यह मुद्दा भी सामने आया कि वित्तीय स्वीकृति में देरी के कारण अभी भी कुछ न्यायाधीशों को सरकारी आवास आवंटित नहीं हुए हैं। अदालत ने प्रशासन से कहा कि इन प्रस्तावों को अलग कर शीघ्र मंजूरी दी जाए ताकि लंबित आवास संबंधी मुद्दे सुलझ सकें। पीठ ने अंत में कहा कि वह केंद्र शासित प्रदेश के जवाब और न्यायालय परिसर पुनर्विकास की निगरानी कर रही उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट का इंतजार करेगी। इस मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी। |
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