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जागरण संवाददाता, रामपुर।जिले में डेंगू के मरीज मिलने का सिलसिला जारी है। अब ज्वालानगर क्षेत्र में डेंगू का मरीज मिला है, जो इस साल अब तक डेंगू का सबसे कम उम्र का मरीज है। ढाई साल की बच्ची में डेंगू की पुष्टि हुई है। दूसरी ओर जिला अस्पताल में शुक्रवार को डेंगू आशंकित 12 मरीज आए, जिनके खून के नमूनों की प्रयोगशाला में जांच कराई जाएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जिले में अब तक डेंगू के 26 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। ज्वालानगर के वार्ड नंबर 11 में सीआरपीएफ गेट नंबर तीन के पास रहने वाले विनोद कश्यप भाजपा सभासद हैं। इसके अतिरिक्त वह टैक्स अधिवक्ता भी हैं। उनकी ढाई साल की बेटी कुमारी सूर्यानी को एक सप्ताह पहले बुखार आया था।
| 26 | रोगी मिल चुके हैं अब तक जिले में डेंगू के | | 12 | डेंगू आशंकित और मिले जिला अस्पताल में | | 31 | मलेरिया आशंकित मरीज भी पहुंचे शुक्रवार को |
प्राइवेट चिकित्सक से उपचार कराया, लेकिन बच्ची की तबीयत में सुधार नहीं हुआ। इस पर ज्वालानगर में प्राइवेट चिकित्सक डा. विशाल सक्सेना को दिखाया। डाक्टर ने बच्ची में डेंगू के लक्षण की संभावना जताते हुए जांच कराई। डाक्टर ने बताया कि बच्ची की जांच रिपोर्ट में डेंगू की पुष्टि हुई है।
मौसम में बदलाव के साथ ही जिले में बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में ज्यादातर मरीज बुखार, खांसी, गले में संक्रमण और जुकाम के आ रहे हैं। जिला अस्पताल में रोजाना 200 से अधिक मरीज बुखार के आ रहे हैं। इनमें लक्षणों के आधार पर डेंगू और मलेरिया की जांच भी की जा रही है।
शुक्रवार को जिला अस्पताल में 12 डेंगू आशंकित और 31 मलेरिया आशंकित मरीज पहुंचे। डेंगू आशंकित में पुष्टि के लिए एलाइजा टेस्ट कराने के लिए खून का नमूना लेकर प्रयोगशाला भेजा गया है। जिला अस्पताल की लैब में ही एलाइजा टेस्ट की सुविधा है। इसकी जांच रिपोर्ट शनिवार को मिलेगी।
डेंगू के लक्षण
. अचानक तेज बुखार आना।
. तेज सिरदर्द, खासकर आंखों के पीछे दर्द होना।
. मांसपेशियों और जोड़ों में तेज हड्डी टूटने जैसा दर्द होना।
. जी मिचलाना और उल्टी आना।
. अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस होना।
. शरीर पर लाल चकत्ते आना।
. गंभीर मामलों में नाक, मसूड़ों या अन्य अंगों से खून बह सकता है।
डेंगू से बचाव
. मच्छरों के काटने से बचें।
. त्वचा और कपड़ों पर कीट-रोधी क्रीम लगाएं।
. पेंट और पूरी आस्तीन की शर्ट पहनें। जूते मौजे पहनकर बाहर जाएं।
. खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाएं।
. सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
. घर के अंदर फ्रिज कूलर, छत पर टूटे बर्तन, पुराने टायर आदि में पानी इकट्ठा न होने दें। |