पराली जलाने पर प्रशासन की पहरेदारी, किया ऐसा तो होगी गिरफ्तारी
सुभाष डागर, बल्लभगढ़। दक्षिणी हरियाणा में धान की फसल पक चुकी है और मंडियों में आमद शुरू हो गई है। फसल कटने के बाद अवशेष जिसे पराली कहते हैं, उसे जलाने का उपक्रम शुरू हो जाता है। इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। किसान पराली न जलाएं, इसके लिए अब प्रशासन की पहरेदारी होगी यानी प्रशासन ने पूरी सख्ती के साथ कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। पराली जलाने पर कार्रवाई करने के लिए उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला से गांव स्तर तक समितियों का गठन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कर गिरफ्तार करने के आदेश दिए हैं। इन आदेशों की पालना को लेकर पुलिस की टीम दिन और रात को पेट्रोलिंग करेंगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
300 एकड़ भूमि में धान
दक्षिणी हरियाणा में धान की फसल सोनीपत, पलवल, फरीदाबाद, नूंह और गुरुग्राम के सोहना में होती है। सोनीपत में इस बार 35 हजार 195 एकड़, पलवल में 20 हजार एकड़, फरीदाबाद में 11 हजार 555 एकड़, नूंह में 3000 एकड़, गुरुग्राम सोहना में 300 एकड़ भूमि में धान लगाया गया है। धान की फसल के कटने के साथ ही किसान रबी की बोआई की तैयारी में जुट जाते हैं।
मुकदमा दर्जकर होगी गिरफ्तारी
ऐसे में काफी किसान जल्दी के चक्कर में धान की पराली को जला देते हैं। इसके धुआं से पर्यावरण प्रदूषण होता है और एनसीआर में स्माग की चादर छा जाती है। लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस में मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी करने के आदेश दिए हैं। इन आदेशों का सख्ती से पालन करने के लिए जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में जिलास्तर टीम का गठन किया गया है।
पुलिस करेगी दिन-रात पेट्रोलिंग
जिलास्तर की टीम में जिला कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक, जिला राजस्व अधिकारी, नगराधीश, डीसीपी मुख्यालय को शामिल किया गया है। खंड स्तरीय समिति के अध्यक्ष संबंधित उपमंडल के एसडीएम को बनाया गया है। इस समिति में खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी, तहसीलदार व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपमंडल अधिकारी को शामिल किया गया है। गांव के स्तर पर समिति का गठन किया गया है। इस टीम में गांव के सरपंच, नंबरदार, पंचायत के सचिव, पटवारी, क्षेत्रीय कृषि विकास अधिकारी को शामिल किया गया है। पुलिस की टीमें दिन और रात को पेट्रोलिंग करेंगी।
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पराली प्रबंधन करें
सरकार ने किसानों को पराली प्रबंधन करने के लिए 50 प्रतिशत अनुदान पर मशीनें दी हैं। जिन किसानों ने मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपनी फसल का पंजीकरण कराया है, उन्हें पराली प्रबंधन को लेकर 1200 रुपये प्रोत्साहन राशि प्रति एकड़ दे रही है। पराली की गांठ बांध कर प्रशासन स्वयं उठाकर ले जाता है। किसान पराली को चारे में रूप में कुट्टी काट कर बेच सकते हैं। पराली को खेत में पानी भर कर जोत दें और गेहूं की सीधी बोआई कर सकते हैं। इससे खेत में पराली हरी खाद का काम करेगी। पराली गल भी जल्दी ही जाती है और भूमि की उर्वरा बढ़ती है।
मंडी में अपनी फसल नहीं बेच पाएगा
“यदि कोई किसान पराली जलाता हुआ मिला तो उस पर 30 हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। किसान के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज किया जाएगा और राजस्व विभाग में रेड इंट्री दर्ज की जाएगी। राजस्व विभाग की रेड इंट्री के बाद किसान अगले दो वर्ष तक मंडी में अपनी फसल नहीं बेच पाएगा।“
-डाॅ. अनिल सहरावत, उपनिदेशक, जिला कृषि एवं किसान कल्याण विभाग
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