खेतों में जलजमाव से किसानों की बढ़ी चिंता
मनोज कुमार राय, कुचायकोट (गोपालगंज)। लगातार मौसम की मार झेल रहे किसानों के सामने अब रवि फसल की बुवाई को लेकर भी गंभीर संकट खड़ा हो गया है। आमतौर पर हर साल 15 नवंबर से गेहूं, तिलहन और आलू की बुवाई शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार खेतों में जलजमाव और धान की डूबी फसल ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कई गांवों में अब तक खेतों में पानी भरा हुआ है, जिससे बुवाई की संभावना फिलहाल दूर दिख रही है। किसानों की उम्मीद थी कि धान की फसल खराब होने के बाद समय पर गेहूं और तिलहन की बुवाई कर वे कुछ हद तक नुकसान की भरपाई कर पाएंगे, लेकिन खेतों से पानी नहीं निकलने के कारण वे दोहरी मार झेल रहे हैं।
रवि की बुवाई पर संकट
एक ओर खरीफ फसल का नुकसान, दूसरी ओर रवि की बुवाई पर संकट ने चिंता बढ़ा दी है। जानकारी के अनुसार, जब धान की फसल पकने की स्थिति में थी, तभी एक महीने के भीतर आए दो चक्रवाती तूफानों ने भारी वर्षा के साथ फसल बर्बाद कर दी।
पहले अनावृष्टि से फसल की पैदावार प्रभावित हुई, फिर लगातार बारिश ने खेतों में जलभराव कर किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि 15 से 30 नवंबर तक का समय गेहूं, तिलहन और आलू की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त होता है, लेकिन इस बार धान की कटाई अधूरी है और खेतों की जुताई संभव नहीं हो पा रही।
कई स्थानों पर धान की फसल अब भी पानी में सड़ रही है। किसान मौसम के सामान्य होने और खेतों से पानी निकलने का इंतजार कर रहे हैं। यदि समय पर खेत सूखे नहीं तो रवि फसल की बुवाई में भारी विलंब होगा, जिससे उत्पादन पर असर पड़ना तय है। किसानों का कहना है कि ऐसी स्थिति में सरकार को राहत और बीज वितरण की विशेष व्यवस्था करनी चाहिए। |