बलवान शर्मा, नारनौल। महर्षि च्यवन ऋषि मेडिकल काॅलेज के नवनियुक्त निदेशक डाॅ. बृजेंद्र ढिल्लो ने कार्यभार संभाल लिया है। उनके लिए कई बड़ी चुनौतियां हैं। मेडिकल काॅलेज में दाखिले की प्रक्रिया चल रही है। 100 में से 60 सीटों पर दाखिले हो चुके हैं, जबकि पांच से सात नवंबर तक तीसरी काउंसलिंग चल रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शेष 40 सीटों पर इस काउंसिलिंग के दौरान दाखिले होने की पूरी उम्मीद है। इनमें से पांच सीटें एनआरआई के लिए आरक्षित हैं। पांच में से दो सीटों पर दाखिले हो चुके हैं और शेष तीन पर भी जल्द ही दाखिले हो जाएंगे।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने जून माह में सशर्त 100 सीटों पर दाखिले की अनुमति दी थी और चार माह बाद पुन: इंस्पेक्शन किया जाना है। यह अवधि जल्द पूरी होगी। मेडिकल काॅलेज की ओपीडी और एक्सीडेंट एमरजेंसी का उदघाटन भी 16 नवंबर को करने की संभावनाएं हैं।
मेडिकल काॅलेज प्रशासन ओपीडी और एक्सीडेंट एमरजेंसी के उदघाटन और एनएमसी की शर्तों को पूरा करने के लिए जुटा हुआ है। काॅलेज के नवनियुक्त निदेशक डा. बृजेन्द्र सिंह ढिल्लो से दैनिक जागरण ने विशेष बातचीत की।
उन्होंने बताया कि ओपीडी को और इंप्रूव कर लिया है साथ ही एक्सीडेंट एमरजेंसी तैयार कर ली है। सारा स्टाफ और सेवाएं तैयार हैं। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री 16 को उद्घाटन कर सकते हैं। एमबीबीएस दाखिले के लिए पांच से सात नवंबर तीसरी काउंसिलिंग चल रही है।
छुट्टी के दौरान भी यह कार्य चल रहा है। 100 में से 60 सीटों पर दाखिले हो चुके हैं। 40 छात्रों के दाखिले जल्द होंगे। हरियाणा कोटे में 85 सीटें हैं, जबकि पांच सीटें एनआरआइ कोटे के लिए आरक्षित हैं। शेष आल इंडिया कोटे की हैं।
कोरियावास गांव ने करीब 79 एकड़ जमीन इस मेडिकल काॅलेज को दी है। यहां पर दो कांपलेक्स बनाए गए हैं। इनमें से एक कापलेक्स में टीचिंग ब्लाक, एडमिनिस्ट्रेशन है। दूसरी तरफ रेजीडेंट्स बनाए गए हैं। सीधे शब्दों में 50 एकड़ में मेडिकल काॅलेज हैं और शेष 29 एकड़ में रेजीडेंस और वाटर टैंक बनाया गया है। जल्द ही ब्लड बैंक शुरू किया जाएगा, जिसकी प्रक्रिया चल रही है।
एनएमसी की शर्त को पूरा करने के लिए काॅलेज प्रशासन ने 500 बिस्तर का अस्पताल तैयार किया है। एनएमसी ने चार महीने का समय दिया था। हास्टल, लैब, फैकल्टी, लांडरी, मार्चरी, एक्सीडेंट एमरजेंसी, 138 फैकल्टी मेंबर( डाक्टर्स) ज्वाइन कर चुके हैं। कुल 360 से ज्यादा स्टाफ कार्यरत है। नए इंस्पेक्शन से पहले अगले माह तक हम सभी शर्तों को पूरा कर लेंगे।
30 बिस्तरों वाली एक्सीडेंट एमरजेंसी तैयार
एक्सीडेंट एमरजेंसी में नंबर दो गेट से प्रवेश होगा। स्टाफ तैनात रहेगा। साधारण चोट वाले मरीज को ग्रे, गंभीर को ग्रीन वार्ड में है। बहुत गंभीर मरीजों को रेड एरिया में दाखिल करेंगे। तीनों वर्ग के मरीजों के लिए कुल 30 बिस्तर सुनिश्चित किए गए हैं। सीनियर डाक्टर्स को तैनात किए गए हैं। सर्जन, स्त्रीरोग विशेषज्ञ,आर्थोपेडिक्स, फीजिशियन डाक्टर्स ड्यूटी देंगे।
सभी ओपीडी वर्किंग में हैं। बेसमेंट से लेकर चार मंजिला इमारत के साथ ओपीडी को अटैच किया हुआ है। चार सौ से ज्यादा गाड़ियों की पार्किंग की सुविधा है। चार मंजिला भवन में हर डिपार्टमेंट की सुविधा दी है। मेडिसिन, स्कीन, शिशु, ईएनटी, आंख का वार्ड बनाए गए हैं। ओटी, आईसीज और सर्जरी को टाॅप फ्लोर पर रखा है, ताकि संक्रमण न फैले।
बड़ी मशीनों को चाहिए 24 घंटे बिजली
एमआरआई, सिटी स्कैन, एक्सरे, वेंटीलेंटर्स को 24 गुणा 7 बिजली की जरूरत होती है। दो बड़े जनरेटर अलग से इनके लिए रखने पड़ेंगे। 12 करोड़ की एमआरआइ, आठ करोड़ की सिटी स्कैन की मशीन है। मेडिकल काॅलेज पर करीब साढ़े सात सौ करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। यह इस क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।
सात हजार किलोवाट बिजली का लोड चाहिए। 11 हजार वाट वाली लाइन से बिजली उपलब्ध होगी। इस लाइन के रास्ते में कुछ पेड़ आते हैं। वन विभाग की आपत्ति को दूर करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर केंद्रीय वन विभाग से संपर्क पहले से किया हुआ है। उम्मीद है कि जल्द ही यह आपत्ति भी दूर होगी।
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