दिल्ली में वायु गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है और इसका मुख्य कारण पराली जलाने की घटनाएं हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, पराली जलाने का प्रभाव पीएम 2.5 प्रदूषकों में 21.5 प्रतिशत से बढ़कर 36.9 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। 6 से 8 नवंबर के बीच हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ वर्ग में बनी रहने का अनुमान है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक का हाल
गुरुवार को दिल्ली का AQI 278 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। बदतर हवा के कारण, कई इलाकों में धुंध छाई हुई है और लोगों को सांस लेने, आंखों में जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली-NCR में वाहनों से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण बढ़ाने में दूसरे नंबर पर है, जिसका प्रतिशत करीब 16% के आसपास है।
अन्य प्रदूषण स्रोत और मौसम की भूमिका
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पराली जलाने के अलावा, वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं का भी प्रदूषण में योगदान है। हवा की गति कंट्रोल्ड होने से प्रदूषित कण जम जाते हैं और धुंध की स्थिति बनी रहती है। मौसम की स्थिति भी प्रदूषण को बढ़ावा दे रही है, जिससे अगले कुछ दिनों तक इस वक्तव्य की संभावना बनी हुई है।
स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव
आईएचएमई की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में दिल्ली में 17,188 लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई। वायु प्रदूषण फेफड़े ही नहीं, ब्लड सर्कुलेशन, हृदय रोग, स्ट्रोक तथा अस्थमा जैसी बीमारियों को भी बढ़ाता है। यह प्रदूषण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या बन चुका है और सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
समाधान के लिए कदम
विशेषज्ञों ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त नियमों, स्थानीय उत्सर्जन पर नियंत्रण, ग्रीन जोन बढ़ाने और पराली जलाने पर रोक लगाने का सुझाव दिया है। साथ ही सलाह दी है कि लोग घर के अंदर रहें और मास्क का उपयोग करें। प्रशासन को भी प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को तुरंत लागू करना होगा ताकि दिल्लीवासियों को साफ और स्वस्थ हवा मिल सके।
दिल्ली में आने वाले दिनों तक प्रदूषण का स्तर ‘बेहद खराब’ रहेगा, इसलिए सभी को विशेष सावधानी बरतनी होगी। |