पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मानवाधिकारों और सुरक्षा स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। साथ ही कहा है कि पाकिस्तान सरकार नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करने में असमर्थ है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एचआरसीपी के नेतृत्व में एक फैक्ट फाइंडिंग मिशन ने 24 से 26 सितंबर तक नागरिक समाज के एक विस्तृत समूह के साथ बैठकें कीं। स्थानीय लोगों ने बढ़ती हिंसा, विस्थापन और सुरक्षा अभियानों और प्रस्तावित खैबर पख्तूनख्वा खान और खनिज अधिनियम 2025 के तहत प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को लेकर चिंता जताई है।
विरोध करने पर कर दी जाती है हत्या
उनका कहना है कि कई हिस्सों में आतंकी बेरोकटोक सक्रिय हैं। वे निवासियों से जबरन वसूली कर रहे हैं। विरोध करने वालों की हत्या कर दी जाती है और दोपहर के बाद लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने इन इलाकों में काम करना बंद कर दिया है।शहरों के नाम,पुर का इतिहास,बाद का इतिहास,शहरों का नामकरण,भारतीय शहर,मुगलकालीन शहर,संस्कृत शब्द पुर,फ़ारसी शब्द आबाद,रामपुर का इतिहास,Farrukhabad history
कार्यकर्ताओं को चुप कराने के लिए उठाया जा रहा कोई भी कदम
एनआई के अनुसार, पाकिस्तानी सेना पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को चुप कराने के लिए कोई भी कदम उठा रही है। आरोप है कि मानवाधिकार कार्यकर्ता और बलूच छात्र संगठन के पूर्व अध्यक्ष जुबैर बलूच अपने साथी नासिर बलूच के साथ पाकिस्तानी सेना के छापे में मारे गए। बलूच नेशनलिस्ट मूवमेंट ने कहा है कि घटना की मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने तीखी आलोचना की है और इसे राजकीय आतंकवाद का कृत्य बताया।
(न्यूज एजेंसी आईएएनएस और एएनआई के इनपुट के साथ)
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