LHC0088 • 2025-11-5 06:35:51 • views 278
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। नेशनल हेल्थ अथारिटी (एनएचए) और आधार के पोर्टल में सेंध लगाकर 450 से अधिक फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने के मामले की जांच एसटीएफ से कराने की सिफारिश की जाएगी।
लखनऊ, बरेली, शाहजहांपुर, जालंधर सहित कई जिलों से इस फर्जीवाड़े के तार जुड़े होने के कारण राज्य नोडल एजेंसी स्टेट एजेंसी फार काम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के अधिकारियों ने ये फैसला लिया है।
मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अर्चना वर्मा के अनुसार कई अन्य जिलों में भी फर्जी कार्ड बनने और इलाज कराने की जानकारी मिली है। फर्जीवाड़े का दायरा बढ़ने के कारण एसटीएफ से जांच कराने की सिफारिश सरकार से की जाएगी।
सीईओ अर्चना वर्मा ने बताया कि अब तक 450 से अधिक फर्जी आयुष्मान कार्ड की जानकारी मिली है। सभी को रद कर दिया गया है। बरेली के पांच और लखनऊ के एक अस्पताल को फर्जी कार्ड से इलाज करने के मामले में कारण बताओ नोटिस दिया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कई अन्य जिलाें के अस्पतालों को भी नोटिस भेजा जा रहा है। संतोषजनक जवाब न मिलने और इन अस्पतालों की भूमिका संदिग्ध मिली तो सभी का प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना से संबद्धीकरण खत्म किया जाएगा। इसके अलावा पुलिस और एसटीएफ अपनी कार्रवाई करेगी।
गौरतलब है कि दीपावली की छुट्टियों के दौरान साइबर जालसाजों ने अधिकारियों के मोबाइल नंबर को बदलकर फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाए थे। मोबाइल नंबर बदलने से कार्ड के अनुमोदन के लिए जारी होने वाला ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) भी अधिकारियों के पास नहीं गया था।
एक शिकायत के बाद साचीज के अधिकािरयों ने मामले की जांच शुरू की तो पोर्टल के हैक होने का पता चला। इसके बाद एजेंसी के नोडल अधिकारी डाॅ. सचिन वैश्य ने रविवार को हजरतगंज थाने में इस फर्जीवाड़े की एफआइआर कराई थी।
आउटसोर्स कर्मचारियों की भूमिका की होगी जांच
साचीज में आयुष्मान भारत योजना के कार्यों से जुड़े आउटसोर्स कर्मचारियों की जांच भी की जाएगी। साचीज में मुख्य कार्यपालक अधिकारी, सहायक कार्यपालक अधिकारी, वित्त नियंत्रक के अलावा प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग (पीएमएचएस) के पांच चिकित्सा अधिकारी और लगभग 80 आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत है।
मुख्यालय में होने के कारण इनके पास भी गोपनीय जानकारियां रहती हैं। इसलिए ऐसे कर्मचारियों से पूछताछ की जाएगी। साचीज के आइटी विभाग के इंजीनियर और अन्य तकनीकी कर्मचारी भी इस मामले में पूछताछ के दायरे में हैं।
केंद्र व राज्य दोनों के ही आइटी विशेषज्ञ होने के बावजूद कैसे एनएचए के पोर्टल में हैकर की घुसपैठ हो गई, इसको लेकर ही कर्मचारियों की भूमिका को संदिग्ध माना जा रहा है। |
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