नहीं जलेगी पराली, सीएक्यूएम ने पंजाब व हरियाणा सरकारों संग की बैठक। प्रतीकात्मक तस्वीर
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अक्टूबर के अंत में धान की कटाई और उसके बाद पराली को जलाने से रोकने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पंजाब व हरियाणा की सरकारों संग समीक्षा बैठक की। हाटस्पाट जिलों में निगरानी के लिए दोनों राज्यों में फ्लाइंग स्क्वायड टीमें तैनात की जाएंगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
फसल अवशेष प्रबंधन अनिवार्य
इसके लिए राज्य सरकारें संबंधित जिला प्रशासन से फ्लाइंग स्क्वायड की सुविधा प्रदान करने और उन्हें समय-समय पर स्थिति अपडेट करने का निर्देश देंगी। सीएक्यूएम अध्यक्ष राजेश वर्मा की अध्यक्षता में 25 सितंबर को पंजाब के 23 और 26 सितंबर को हरियाणा के 22 जिलों के अधिकारियों संग बैठक कर आवश्यक निर्देश दिए गए।
धान कटाई सीजन 2025 के लिए दोनों राज्यों की तैयारियों की समीक्षा की गई। निगरानी और कार्रवाइयों के लिए हाॅटस्पाॅट जिलों में धान की पराली जलाने से रोकने, प्रभावी इन-सीटू और एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन अनिवार्य किया गया है।
विचार-विमर्श के बाद जरूरी निर्देश
खेती भवन, एसएएस नगर (मोहाली) में सीएक्यूएम सेल की स्थापना की गई है, जो पंजाब और हरियाणा के बीच अंतर-राज्यीय समन्वय को सुगम बनाने के लिए धान की पराली प्रबंधन और प्रदूषण गतिविधियों की निगरानी करेगा। बैठक में दोनों राज्यों के लिए पराली जलाने व्यापक विचार-विमर्श के बाद जरूरी निर्देश दिए गए हैं।
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दोनों राज्यों की ओर से अब तक किए गए प्रयासों और व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए सीएक्यूएम ने दोहराया कि आगामी सीजन के दौरान शून्य पराली जलाने पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। सभी जिला प्रशासन को प्रोत्साहन और निवारण, दोनों ही वैधानिक उपायों को लागू करने का निर्देश दिया। आयोग प्रगति की निगरानी और अनुमोदित कार्य योजनाओं के सख्त कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए लगातार समीक्षा भी करेगा।
पंजाब के लिए दिए ये निर्देश
- धान अवशेषों के पूर्ण प्रबंधन के लिए सीआरएम मशीनरी व बेलरों की उपलब्धता करें सुनिश्चित।
- राज्य \“\“पराली सुरक्षा बल\“\“ के माध्यम से बढ़ाई जाए सतर्कता।
- कीट संक्रमित क्षेत्रों में पराली जलाने से रोकने के लिए विकसित करनी होगी योजना।
- ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास को-फायरिंग में लाएं तेजी, ताकि बिजली उत्पादन में पराली का उपयोग बढ़े।
- धान के अवशेषों की वास्तविक समय पर निगरानी और वर्ष भर प्रबंधन के लिए सीएक्यूएम प्रकोष्ठ से बनाएं समन्वय।
हरियाणा को करना होगा इन निर्देशों का पालन
- अतिरिक्त धान अवशेषों का पूर्ण प्रबंधन करते हुए बेलर व सीआरएम की उपलब्धता करनी होगी सुनिश्चित।
- सीआरएम मशीनरी में कमियों की समीक्षा कर आवश्यकतानुसार अतिरिक्त मशीनों के लिए भेजना होगा प्रस्ताव।
- राज्य \“\“पराली सुरक्षा बल\“\“ के माध्यम से सतर्कता बढ़ाते हुए नियमित की जाए गश्त।
- पराली की गांठों के भंडारण की करनी होगी व्यवस्था।
- पराली जलाने वाले किसानों को न तो प्रोत्साहन राशि दी जाए और न ही उन पर दंडात्मक कार्रवाई हो।
- एमएसडब्ल्यू/बायोमास आदि को खुले में जलाने की रोकथाम के लिए आयोग के निर्देश 91 का कराएं अनुपालन।
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