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संविधान की भावना के अनुरूप उत्तराखंड ने लागू की समान नागरिक संहिता : राष्ट्रपति

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देहरादून में उत्तराखंड राज्य की स्थापना के रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करतीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु। सूवि



राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने संविधान में समान नागरिक संहिता के निर्माण के लिए अनुच्छेद 44 के तहत प्राविधान किया। इसी भावना के अनुरूप उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता लागू कर दी है, जो सराहनीय है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

राज्य स्थापना कीरजत जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभा में 550 से ज्यादा विधेयक पारित हुए, जिनमें समान नागरिक संहिता के अलावा लोकायुक्त, जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था, सख्त नकलरोधी कानून जैसे विधेयक शामिल हैं। इससे पारदर्शिता, नैतिकता व सामाजिक न्याय की भावना सशक्त हुई है।


उत्तराखंड विधानसभा के लिए सोमवार का दिन यादगार बन गया। अवसर था दो-दिवसीय विशेष सत्र की शुरुआत का, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के संबोधन ने गौरवपूर्ण बना दिया।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने विधानसभा के पूर्व व वर्तमान सदस्यों और राज्यवासियों को शुभकामनाएं दीं। साथ ही कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में यहां की जनाकांक्षाओं के अनुरूप बेहतर प्रशासन व संतुलित विकास की दृष्टि से नौ नवंबर 2000 को इस राज्य की स्थापना हुई।

25 वर्ष की यात्रा में उत्तराखंड ने विकास के कई प्रभावशाली लक्ष्य हासिल किए हैं। पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय प्रगति हुई है तो डिजिटल व फिजिकल कनेक्टिविटी व इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी विकास हुआ है।
समग्र प्रयासों से गढ़े प्रतिमान

राष्ट्रपति ने कहा कि विकास के समग्र प्रयासों के बल पर राज्य में मानव विकास सूचकांक के कई मानकों में सुधार हुआ है। राज्य में साक्षरता दर बढ़ी है, महिलाओं की शिक्षा में विस्तार हुआ है। मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
गौरवशाली परंपरा आगे बढ़ेगी

महिला सशक्तीकरण के प्रयासों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी, पर्वतारोही बछेंद्रीपाल, चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी, पर्यावरणविद् राधा भट्ट, पूर्व हाकी खिलाड़ी वंदना कटारिया का उल्लेख करते हुए कहा कि असाधारण महिलाओं की गौरवशाली परंपरा आगे बढ़ेगी।

उन्होंने कहा कि ऋतु खंडूड़ी भूषण को विधानसभा का अध्यक्ष नियुक्त कर राज्य विधानसभा ने अपना गौरव बढ़ाया है। वह सभी हितधारकों के सक्रिय प्रयास से उत्तराखंड विधानसभा में महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी होते देखना चाहेंगी।
अध्यात्म व शौर्य की परंपरा

राष्ट्रपति ने कहा कि ऋषि मुनियों की तपस्थली रही देवभूमि उत्तराखंड से अध्यात्म और शौर्य की परंपरा प्रवाहित होती रही है। कुमाऊं व गढ़वाल रेजिमेंट के नाम से ही शौर्य परंपरा का परिचय मिलता है।

यहां के युवाओं में भारतीय सेना में सेवा कर मातृभूमि की रक्षा के प्रति उत्साह है। यह शौर्य परंपरा देशवासियों के लिए गर्व की बात है। यही नहीं, भारत की लोकतांत्रिक परंपरा को शक्ति देने में भी राज्य के जनसेवकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
जनता से जुड़कर सेवा का अवसर मिलना सौभाग्य की बात

राष्ट्रपति ने कहा कि विधानसभाएं संसदीय प्रणाली का प्रमुख स्तंभ हैं। बाबा साहेब आंबेडकर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने संसदीय प्रणाली को अपनाकर निरंतर उत्तरदायित्व को अधिक महत्व दिया।

जनता के प्रति उत्तरदायी बने रहना संसदीय प्रणाली की शक्ति भी है और चुनौती भी। विधायक जनता और शासन के बीच सबसे अहम कड़ी हैं। जमीनी स्तर पर जनता से जुड़कर सेवा का अवसर मिलना सौभाग्य की बात है।
जनकल्याण के कार्यों को निष्ठा से आगे बढ़ाएं विधायक

राष्ट्रपति ने कहा कि विधायक के रूप में उन्हें भी नौ वर्ष जनसेवा का अवसर मिला। वह कह सकती हैं कि यदि विधायक सेवाभाव से जनसमस्याओं के समाधान व कल्याण में सक्रिय रहेंगे तो जनता और जनप्रतिनिधि के बीच विश्वास का अटूट बंधन बना रहेगा।

उन्होंने विधायकों से कहा कि वे विकास व जनकल्याण के कार्यों को निष्ठा से आगे बढ़ाएं। ये कार्य दलगत राजनीति से ऊपर होते हैं। वंचित वर्गों के कल्याण और विकास को संवेदनशीलता से कार्य करने की जरूरत है।
प्रकृति व विकास में समन्वय पर जोर

राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड में अनुपम प्राकृतिक संपदा व सौंदर्य विद्यमान है। ऐसे में प्रकृति के उपहारों का संरक्षण कर राज्य को विकास के मार्ग पर आगे ले जाना है। उत्तराखंड की 25 वर्ष की विकास यात्रा विधायकों के योगदान से संभव हो पाई है। उम्मीद है कि आगे भी वे जनाकांक्षाओं को अभिव्यक्ति देंगे। साथ ही राष्ट्र सर्वोपरि की भावना के साथ राज्य और देश को विकास के पथ पर तेजी से आगे ले जाएंगे।

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