LHC0088 Publish time 2025-11-21 15:47:28

जब नेता जी आएं तब खड़े हो जाइए और शांत रहिए, सरकारी अधिकारियों के लिए महाराष्ट्र सरकार का फरमान

महाराष्ट्र की सरकार इन दिनों सरकारी अधिकारियों को ये सिखा रही है कि नेताओं के सामने उनका बर्ताव कैसा होना चाहिए। जब भी कोई विधायक या सांसद आपके ऑफिस में आएं तो झट से खड़े हो जाएं। नेताजी की हर बात ध्यान से सुनें। और उनसे नरमी से बात करें। इस दौरान गलती से भी अपना फोन ना उठाए। महाराष्ट्र सरकार ने 20 नवंबर को सरकारी अधिकारियों को कुछ ऐसी ही गाइडलाइंस दी हैं।



राज्य के मुख्य सचिव राजेश कुमार की तरफ से ये आदेश जारी किए गए हैं। इसके मुताबिक, विधायकों या सांसदों को सम्मान देने प्रशासन भरोसेमंद और जवाबदेह बनता है। अगर कोई अधिकारी इन निर्देशों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।



महाराष्ट्र में सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सख्त आदेश




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सरकार ने पुराने गाइडलाइंस को काफी सख्त बना दिया है। साथ ही नए गाइडलाइंस में स्पष्ट हिदायतें दी गई हैं।



पिछले कुछ दिनों में कुछ विधायकों ने शिकायत की थी कि अधिकारी उन्हें मिलने का वक्त नहीं देते हैं। ना ही उनके मामलों में जल्दी एक्शन लेते हैं। शिकायत करने वाले कुछ अधिकारी सत्तारूढ़ पार्टी से भी थे।



महाराष्ट्र सरकार की गाइडलाइंस



नई गाइडलाइंस के मुताबिक, जब भी विधायक या सांसद दफ्तर में प्रवेश करें या बाहर जाएं, अधिकारी को खड़े होकर नम्रता से उनका अभिवादन करना होगा। उन्हें पूरी तरह शिष्टाचार के साथ सुनना और नियमों के अनुसार सहायता करनी होगी। फोन पर भी हमेशा आदरपूर्ण भाषा का इस्तेमाल अनिवार्य होगा।



सरकारी विभागों को विधायक- सांसदों के पत्रों का जवाब दो महीने के अंदर देना होगा। और अगर समय पर जवाब संभव न हो तो मामले को ऊंचे अधिकारियों तक पहुंचाकर विधायक या सांसद को सूचना देनी होगी। जिला स्तर के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों को निमंत्रित करना अनिवार्य होगा और उनकी जगह प्राथमिकता के अनुसार निश्चित की जाएगी।



हर महीने पहले और तीसरे गुरुवार को अधिकारियों को दो घंटे नागरिकों और जनप्रतिनिधियों से मिलने के लिए आरक्षित रखने होंगे, हालांकि जरूरी मामलो में विधायक या सांसद से किसी भी समय की मुलाकात की अनुमति दी जानी चाहिए।



शासन ने कहा है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सेवा नियमों के तहत सख्त कार्यवाही होगी, जिसमें देरी और अनुशासनहीनता भी शामिल है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जनप्रतिनिधियों को सार्वजनिक कल्याण से जुड़ी जानकारी मुफ्त में उपलब्ध करानी होगी।



यह निर्देश सरकारी शिक्षा संस्थानों में भी शामिल किए जाएंगे, ताकि सभी अधिकारी-कर्मचारी जनप्रतिनिधियों के प्रति आदरपूर्ण व्यवहार करना सीखें।



यह नई नियमावली सरकार के पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसमें सरकारी अधिकारी जनप्रतिनिधियों के उचित सम्मान और सेवा देना होगा।



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