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म्योर मिल की जमीन पर तीन सौ करोड़ से बनेगा सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट सेंटर, एक छत के नीचे सभी विभाग

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मंडलायुक्त शिविर कार्यालय सभागार में म्योर मिल की जमीन को लेकर बैठक करते मंडलायुक्त के विजयेन्द्र पांडियन। जागरण



जागरण संवाददाता, कानपुर। शहर की ऐतिहासिक म्योर मिल की जमीन अब पूरी तरह से सरकार के कब्जे में आ गई है। प्रशासन ने इस भूमि पर आधुनिक सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट सेंटर (सीबीडीसी) विकसित करने की योजना को अंतिम देने जा रहा है। करीब तीन सौ करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना में 43 विभागों के मंडलीय कार्यालय एक ही परिसर में स्थापित किए जाएंगे। इससे जनता को एक ही स्थान पर सभी सरकारी सेवाएं उपलब्ध होंगी और विभागों के बीच समन्वय भी बेहतर होगा।

शुक्रवार देर शाम मंडलायुक्त शिविर कार्यालय सभागार में हुई बैठक में केडीए सचिव अभय पांडेय ने मंडलायुक्त विजयेंद्र पांडियन को परियोजना का प्रारूप दिखाया। इस दौरान केडीए उपाध्यक्ष मदन सिंह गर्ब्याल और एडीएम वित्त विवेक चतुर्वेदी भी उपस्थित रहे। केडीए सचिव ने बताया कि निर्माण कार्य के लिए तकनीकी टेंडर जारी किए जा चुके हैं, जिनमें तीन कंपनियों ने भाग लिया है। अब एक सप्ताह के भीतर वित्तीय नीलामी प्रक्रिया पूरी कर डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) को अंतिम रूप दिया जाएगा। जिसके बाद कार्यदायी संस्था परिसर में निर्माण के लिए डीपीआर तैयार करेगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस परियोजना में केडीए लगभग तीन सौ करोड़ रुपये का बजट खर्च करेगा। मंडलायुक्त ने बताया कि म्योर मिल परिसर शहर के बीचोंबीच होने के कारण प्रशासनिक दृष्टि से अत्यंत उपयुक्त स्थान है। यहां पर आधुनिक भवनों, मीटिंग हाल, पार्किंग, नागरिक सुविधा केंद्र और डिजिटाइज्ड रिकार्ड सिस्टम की व्यवस्था की जाएगी। सभी मंडलीय कार्यालय एक परिसर में आ जाने से लोगों को विभिन्न विभागों में भटकना नहीं पड़ेगा और सरकारी कार्यों की गति में भी तेजी आएगी।
प्रशासन ने म्योर मिल की जमीन पर लिया कब्जा वापस

सिविल लाइंस स्थित लगभग 15 हेक्टेयर (डेढ़ लाख वर्ग मीटर) क्षेत्रफल वाली म्योर मिल की जमीन पर बीते सप्ताह प्रशासन ने औपचारिक रूप से कब्जा लेने की कार्रवाई पूरी की है। एडीएम वित्त विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि नजूल अभिलेखों के अनुसार यह भूमि वर्ष 1861 में द कानपुर म्योर मिल को लीज पर दी गई थी। वर्ष 1930 में लीज का नवीनीकरण हुआ था, लेकिन उसके बाद कभी भी रिन्यू नहीं कराया गया। न तो लीज रेंट जमा किया गया और न ही भूमि का उपयोग उसके मूल उद्देश्य कपड़ा उत्पादन के लिए किया गया। सत्यापन समिति की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि भूमि अब औद्योगिक उपयोग में नहीं है। शासन ने आठ अक्टूबर 2025 को इस जमीन को नजूल रिकार्ड में दर्ज करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी किया, जिसके बाद कब्जा लेने की कार्रवाई पूरी की गई है। वहीं म्योर मिल की जमीन में रहने वाले परिवारों को नोटिस जारी करके कब्जा खाली कराने की कार्रवाई की जा रही है।
139 साल पहले हुई थी मिल की स्थापना

म्योर मिल की स्थापना 139 साल पहले वर्ष 1886 में हुई थी। यह शहर की सबसे बड़ी टेक्सटाइल मिलों में गिनी जाती थी। 2012 में मिल बंद होने से पहले यहां करीब 6300 मजदूर कार्यरत थे। बंदी के बाद कर्मचारियों को वीआरएस दिया गया था, हालांकि कुछ मजदूरों ने विरोध भी किया। मिल की अधिकांश मशीनें बिक चुकी हैं और अब परिसर में सुरक्षा के लिए केवल कुछ गार्ड तैनात रहते हैं।

  


मंडलायुक्त के सामने म्योर मिल की 40 एकड़ जमीन पर विकास कार्यों की प्रजेंटेशन दिखाया गया है। अनुमति के बाद डीपीआर बनाने के लिए कंसल्टेंट एजेंसी को हायर करने के लिए निविदा प्रकाशित की गई है। आगामी एक सप्ताह में वित्तीय नीलामी प्रक्रिया को फाइनल करके आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
अभय पांडेय, सचिव, केडीए
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