प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)  
 
  
 
संवाद सूत्र, जदिया (सुपौल)। 11 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में त्रिवेणीगंज सीट इस बार एक नए राजनीतिक समीकरण का गवाह बनने जा रही है।  
 
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित यह सीट अब सिर्फ दलित राजनीति का केंद्र नहीं रह गई है, बल्कि बाढ़, सुखाड़ और बेरोजगारी जैसे स्थानीय मुद्दों ने इसे एक व्यापक जनचर्चा का विषय बना दिया है।  
 
त्रिवेणीगंज विधानसभा का राजनीतिक इतिहास बताता है कि 2005 से अब तक यह सीट जनता दल यूनाइटेड के कब्जे में रही है। जदयू ने अपने मजबूत संगठनात्मक ढांचे और स्थानीय स्तर पर पकड़ के दम पर लगातार जीत दर्ज की है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
2020 की मतदाता सूची के अनुसार, यादव समुदाय की हिस्सेदारी करीब 21.70 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाताओं की 14.90 प्रतिशत है। ऐसे में इस बार का मुकाबला केवल दलित बनाम गैर-दलित नहीं, बल्कि जातीय और वर्गीय समीकरणों का मिश्रण बन गया है।  
 
हर साल बाढ़ और सुखाड़ की मार झेलने वाले त्रिवेणीगंज के लोगों के बीच इस बार निदान की सोच उभर रही है। जनता का कहना है कि चुनाव दर चुनाव समस्याएं जस की तस रह जाती हैं। इस बार रोजगार, स्थाई विकास मतदाताओं के प्रमुख मुद्दे बन गए हैं।  
 
जदयू अपने बूथ स्तर के नेटवर्क को और मजबूत करने में जुटा है। वहीं, महागठबंधन जातीय-सामाजिक समीकरणों को साधने में सक्रिय है। क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है।  
 
अररिया और मधेपुरा जिला का सीमावर्ती इलाके होने के कारण प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष तैयारी की है। चेक पोस्टों पर चौकसी तेज कर दी गई है ताकि मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो सके। |