युवाओं में बढ़ता हार्ट डिजीज कारण और बचाव के तरीके
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब भी हार्ट डिजीज की बात होती हैं, तो मन में हमेशा 50 या 60 की उम्र के मरीजों की तस्वीर सामने आती है। हालांकि, अब इस बीमारी का ट्रेंड बदलने लगा है। दरअसल, पिछले कुछ समय से 40 साल से कम उम्र के लोगों में हार्ट डिजीज या हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। ऐसे में इससे बचाव के लिए न सिर्फ समय पर इसकी पहचान जरूरी है, बल्कि इसकी वजह जानना भी जरूरी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हर साल दिल से जुड़ी बीमारियों के बारे में, लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है। ऐसे में युवाओं में बढ़ते हार्ट डिजीज की वजह जानने के लिए हमने मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत में कार्डियक साइंसेज के यूनिट हेड और प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. राजीव अग्रवाल से बातचीत की। आइए जानते हैं क्यों 40 साल से कम उम्र के लोगों के बढ़ रहे है हार्ट अटैक के मामले-
युवाओं मे क्यों बढ़ रहा हार्ट डिजीज?
- पहला कारण- युवाओं में बढ़ते हार्ट डिजीज के मामलों की प्रमुख वजह मोटापे, हाई ब्लड प्रेशर और इंसुलिन रेजिस्टेंट के मामलों में होती तेजी से बढ़ोतरी है। बदलती लाइफस्टाइल की वजह से अक्सर बुढ़ापे में होने वाली ये समस्याएं लोगों में पहले से ही शुरू हो रही हैं, खासकर शहरी इलाकों में।
- दूसरा कारण- मौजूदा समय में शहरी परिवेश में तनाव एक लगभग महामारी बन गया है। शहरों में कामकाजी जिंदगी, काम के ज्यादा घंटे, बिजी शेड्यूल तनाव का कारण बन रहा है। ऐसे में लंबे समय तक रहने वाले तनाव की वजह से हाई ब्लड प्रेशर, डिसलिपिडेमिया और एंडोथेलियल (ब्लड वेसल लाइनिंग) डैमेज हो सकता है।
- तीसरा कारण- इसके अलावा अब लोगों को लाइफस्टाइल तेजी से बिगड़ने लगी है, जिसकी वजह से लोगों के खानपान की आदतें भी बिगड़ रही है। हाई रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट, शुगरी और एक्स्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और युवाओं में धूम्रपान, वेपिंग और शराब आदि का इस्तेमाल भी इसकी एक वजह है।
- चौथा कारण- कोविड के बाद का समय ऐसा है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वायरस से ठीक होने वाले कई मरीज रेसिडूअल इंफ्लेमेशन, माइक्रोवेस्कुलर डैमेज या जमावट संबंधी विकार दिल से जुड़ी समस्याओं को तेजी से बढ़ाते हैं।
अनदेखी भी है बड़ी वजह
अनदेखी भी इस बीमारी को बढ़ाने में अहम योगदान देती है। युवा अक्सर छोटे लक्षणों जैसे थकान, सांस लेने में हल्की तकलीफ या सीने में तकलीफ को अनदेखा कर देते हैं और उन्हें तनाव या थकावट का कारण बताते हैं। हालांकि, जब तक उनकी हालत गंभीर न हो जाए, तब तक वह इस ध्यान नहीं देते, जिससे कई बार बात हाथ से निकल जाती है।
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हम क्या कर सकते हैं?
हार्ट हेल्थ दुरुस्त रखने के लिए 40 साल से उम्र से पहले ही रेगुलर चेकअप शुरू कराना शुरू कर देना चाहिए। खासकर दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में, जहां तनाव रोज के जीवन का एक हिस्सा बन चुका है। ब्लड प्रेशर, लिपिड प्रोफाइल, फास्टिंग ग्लूकोज और यहां तक कि रिस्क स्कोर का समय-समय पर मूल्यांकन युवाओं को हार्ट डिजीज से बचा सकता है। इसके अलावा कुछ बातों का ध्यान रख आप अपने दिल का ख्याल रख सकते हैं-
- हेल्दी आदतें अपनाएं: रोजाना कम से कम 30 मिनट की हल्की या मीडियम फिजिकल एक्टिविटी करें। रिफाइंड शुगर और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन कम करें, तंबाकू और बहुत ज्यादा शराब से परहेज करें और तनाव को मैनेज करें।
- वर्किंग कल्चर में बदलाव करें: कॉर्पोरेट वेलफेयर प्रोग्राम, हेल्दी वर्कप्लेस पॉलिसी जैसे जरूरी छुट्टी, छुट्टी के समय ईमेल भेजने पर प्रतिबंध आदि मेंटल हेल्थ बेहतर कर तनाव के भार को कम कर सकती हैं।
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