deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Bihar: आसान नहीं है पूर्व CM के गांव तक पहुंचना, चुनाव के समय प्रत्याशियों को इसकी आती है याद

deltin33 2025-10-23 13:36:29 views 917

  

पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर के गांव की जर्जर सड़क। (जागरण)



राजेश प्रसाद, मांझा (गोपालगंज)। मांझा प्रखंड का सरेया अख्तेयार गांव। जिला मुख्यालय से इस गांव की दूरी करीब 18 किलोमीटर है। सिवान-सरफरा स्टेट हाइवे के समीप स्थित इस गांव की पहचान सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री रहे अब्दुल गफूर के पैतृक गांव के रूप में है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस गांव के प्रवेश के साथ ही इस गांव के विकास तस्वीर सामने आने लगती है। गांव में प्रवेश करते ही उबड़-खाबड़ सड़क हमारा स्वागत करती है। हिचकोले खाते गांव में पहुंच भी गए तो यहां विकास के नाम पर कुछ भी विशेष नजर नहीं आता, जिससे यह लगे कि यह पूर्व मुख्यमंत्री का गांव है।

करीब 1200 की आबादी वाले इस गांव में विकास कार्य के नाम पर एक पक्की सड़क जर्जर हालत में मौजूद है। इस सड़क के अलावा पूरे गांव में कहीं भी पूर्व मुख्यमंत्री के नाम का बोर्ड तक नहीं नहीं दिखता।

गांव के नाम पर एक प्राथमिक विद्यालय जरूर स्थित है। यह विद्यालय भी स्टेट हाइवे के उस पार स्थित है। ऐसे में यहां शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों को जान हथेली पर लेकर हाइवे को पार करने की विवशता होती है।

पूरे गांव में विकास के नाम पर विद्युत व्यवस्था कुछ बेहतर दिखी। गांव की सड़कों पर विद्युत पोल तो मिले, लेकिन प्रकाश की व्यवस्था लोगों के घर के दरवाजे तक की सिमटी है।

गांव के लोग बताते हैं कि विद्युत व हाइवे के उस पार प्राथमिक विद्यालय के अलावा पूरे गांव में कुछ भी उपलब्ध नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री के नाम पर इस गांव को कुछ भी नसीब नहीं होने की कसक गांव के लोगों में अब भी दिखती है।
वार्ड में नहीं मिलता लोगों को नल का जल

सरेया अख्तेयार गांव में विकास का आलम यह कि पूर्व मुख्यमंत्री के वार्ड में आज तक नल का जल नहीं पहुंच सका है। आज भी इस वार्ड के लोग निजी चापाकल से ही अपनी प्यास बुझाते हैं। ऐसी बात भी नहीं कि पूरे सरेया अख्तेयार में नल का जल नहीं है। पड़ोसी वार्ड में नल से पानी की आपूर्ति की जाती है, लेकिन इस गांव में यह व्यवस्था लागू नहीं हो सकी है।
सरेया अख्तेयार गांव में पहुंचे थे सुभाष चंद्र बोस

स्वतंत्रता आंदोलन के समय 1942 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर के नेतृत्व में सरेया अख्तेयार गांव पहुंचे थे। तब उन्होंने यहां एक जनसभा को संबोधित करने के बाद 1942 के आंदोलन की बिगुल फूंका था।

इसी सभा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर भी स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। सुभाष चंद्र बोस के आगमन के कारण इस गांव का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। इसके बाद भी इस गांव का विकास आज तक नहीं हो सका है।
गांव के लोगों के मन में दिखती है पीड़ा

पूर्व मुख्यमंत्री के गांव का विकास नहीं होने पर लोगों के मन में इस बात की पीड़ा दिखती है। इसी गांव के डॉ. शमसुद्दीन उर्फ डा. ननकू ने बताया कि अब्दुल गफूर बिहार के मुख्यमंत्री बने। उनके ही कार्यकाल में सारण जिले से गोपालगंज को अलग कर जिला बनाया गया।

इसके बाद भी उनके नाम पर पूरे जिले व उनके गांव तक में एक सड़क, स्कूल या अस्पताल का नाम तक नहीं है। इसी गांव के हरेंद्र महतो ने कहा कि चुनाव के समय यहां प्रत्याशी सिर्फ वोट मांगने के लिए लोग आते हैं। चुनाव के बाद कोई इस गांव में नहीं आता है। गांव में एक अच्छी सड़क तक नहीं है।

गांव में कोई विकास नजर नहीं आता है। वे बताते हैं कि कभी सरेया अख्तेयार गांव की पहचान सूबे के राजनीतिक गलियारों में हुआ करती थी, लेकिन आज यह गांव विकास की रोशनी से कोसों दूर है।
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

deltin33

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

610K

Credits

administrator

Credits
69429