deltin33                                        • 2025-10-18 01:37:47                                                                                        •                views 1094                    
                                                                    
  
                                
 
  
 
    
 
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनड ट्रंप की दोहरी नीति। (फाइल फोटो)  
 
  
 
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच के कारोबारी संबंध पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की दोहरी नीति पूरी तरह से सामने आ गई है। एक ओर वे भारत को रूसी तेल खरीदने पर कठोर चेतावनी दे रहे हैं और 50 फीसद टैरिफ लगा चुके हैं जबकि दूसरी ओर खुद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ रूस-अमेरिका व्यापार को बढ़ाने की संभावना तलाश रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
इस बात की जानकारी खुद राष्ट्रपति ट्रंप ने पुतिन के साथ टेलीफोन वार्ता के बाद ट्रुथ सोशल पर लिखे अपने पोस्ट में दी है। जानकारों का मानना है कि अमेरिका की यह दोहरी नीति न केवल वैश्विक ऊर्जा बाजार को प्रभावित करने की क्षमता रखती है बल्कि अमेरिका के सहयोगियों के बीच असमंजस पैदा कर रही है।  
डोनल्ड ट्रंप ने क्या कहा?  
 
यूक्रेन विवाद को समाप्त करने के लिए ट्रंप ने गुरुवार को पुतिन के साथ टेलीफोन पर बात की। इसे बेहद उपयोगी बताते हुए उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “हमने यूक्रेन युद्ध समाप्त होने के बाद रूस और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर काफी समय चर्चा की।\“\“ उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी अगले सप्ताह मिलेंगे और जल्द ही हंगरी के बुडापेस्ट में शिखर सम्मेलन होगा, जिसका उद्देश्य युद्ध को समाप्त करना होगा।  
 
उल्लेखनीय तथ्य यह है कि राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत में कोराबार बढ़ाने के मुद्दे पर उन्होंने चर्चा भारत-रूस के बीच होने वाले तेल कारोबार पर एक विवादास्पद टिप्पणी करने के कुछ ही घंटों बाद की। ट्रंप ने दावा किया है कि बुधवार को उनकी भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी से बात हुई है जिसमें मोदी ने रूस से तेल की खरीद बंद करने करना आश्वासन दिया है। भारत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि कोई ऐसी चर्चा नहीं हुई।  
 
भारत के विपरीत नजर आती ट्रंप की नीति  
 
बहरहाल, भारत के संदर्भ में ट्रंप की नीति पूरी तरह विपरीत नजर आ रही है। अगस्त 2025 में ट्रंप ने भारत को 50 फीसद का शुल्क लगा दिया और बाद में उनकी तरफ से बताया गया कि भारत लगातार रूस से तेल खरीद रहा है, इसलिए ऐसा किया गया है। लेकिन उनकी सरकार की तरफ से रूस-अमेरिका के बीच कारोबार को प्रतिबंधित करने की कोई कोशिश नहीं की गई है।  
क्या है ट्रंप की असलियत?  
 
असलियत में जनवरी, 2025 में राष्ट्रपति पद संभालने के बाद जब फरवरी, 2025 में ट्रंप ने पुतिन से पहली बार बात की तो उसमें भी आर्थिक कारोबार के मुद्दे पर बात हुई। अमेरिकी मीडिया की खबरों के मुताबिक उसके बाद सेवा सेक्टर में दोनों देशों के बीच कारोबार 43 फीसद तक बढ़ी है। जबकि राष्ट्रपति पुतिन ने 16 अगस्त, 2025 को अलास्का में प्रेस वार्ता में कहा कि, “अमेरिका में नई सरकार के आने के बाद दोनों देशों के बीच कारोबार में 20 फीसद का इजाफा हुआ है।\“\“  
 
इसके पहले 2024 में अमेरिका ने रूस से लगभग 3 अरब डॉलर के सामान आयात किए, जिसमें 1.1 अरब डॉलर के उर्वरक, 878 मिलियन डॉलर का पलाडियम (ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए) और 62.4 करोड़ डॉलर का यूरेनियम शामिल था। जनवरी से मई 2025 के बीच आयात और बढ़ा है।  
 
इस दौरान रूस से अमेरिका को पलाडियम आयात 37 फीसद, यूरेनियम 28 फीसद और उर्वरक 21 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई। अमेरिकी कंपनियां रूस से रसायनों का भी आयात कर रही हैं। ट्रंप से जब पूछा कि उनका देश रूस से रसायनों का आयात क्यों कर रहा है तो उन्होंने कहा कि, “इसकी कोई जानकारी उनके पास नहीं है।\“\“  
 
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