बिजनौर में वन विभाग द्वारा पकड़ा गया रसल वाइपर सांप। सौ. वन विभाग
जागरण संवाददाता, बिजनौर। जिला मुख्यालय के पास ही 24 घंटे में दस रसल वाइपर सांप पकड़े गए हैं। यह सांप सबसे अधिक जहरीले सांपों में से एक है। इसे स्थानीय भाषा में चित्ती या धामड़ कहा जाता है। वन विभाग की टीम और सर्प मित्रों ने सांपों को पकड़कर प्राकृतिक आवास में छोड़ा है। सर्पदंश की स्थिति में झाड़फूंक के बजाए चिकित्सक से उपचार कराने के बारे में जागरूक किया जा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वन विभाग की टीम ने सिंचाई विभाग कार्यालय, तसहीलदार कार्यालय, बैराज कालोनी, आदमपुर स्थित रेलवे फाटक के पास स्थित कालोनी से रसल वाइपर सांप को पकड़ा है। सांप कहीं अलमारी के पीछे तो कहीं बैटरे के नीचे छिपा हुआ था।
वन विभाग की टीम ने स्नेक कैचर स्टिक से आराम से सांप को पकड़ लिया। सर्प मित्र भरत भास्कर ने बताया कि रसल वाइपर को स्थानीय लोग चित्ती या धामड़ कहते हैं। यह बहुत विषैला होता है और कोबरा सांप से भी अधिक खरतनाक माना जाता है।
कोबरा सांप अगर किसी को डस ले और समय पर उपचार न मिले तो मौत निश्चित है लेकिन अगर रसल वाइपर के डसने के बाद किसी को उपचार न मिले तो शरीर वहीं से गलना शुरू हो जाता है। धीरे-धीरे पूरा शरीर गलता है और व्यक्ति बहुत ही तड़पता है। यह सांप सर्दियों में भी सक्रिय रहता है और खेतों के साथ ही घरों में भी दिखता है।
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भारत में सांपों की जहरीली प्रजातियों में कोबरा, किंग कोबरा, रसल वाइपर, कामन करैत और सो स्कल्ड वाइपर शामिल हैं। इनमें से लगभग सभी सांप जिले में भी मिलते हैं।
क्षेत्रीय वनाधिकारी महेश गौतम ने कहा कि सर्पमित्र सूचना मिलते ही सांपों को पकड़ने के लिए जा रहे हैं। सर्पदंश होने पर उपचार कराना चाहिए। झाड़ फूंक के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। इसके बारे में लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है।
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एक बार में 60 से 80 बच्चों को जन्म
विशेषज्ञों के अनुसार बाकी सांप अंडे देते हैं और उनमें से बच्चे निकलते हैं जबकि रसल वाइपर सीधे बच्चों को जन्म देते हैं। ये एक बार में 60 से 80 बच्चों को जन्म देते हैं। जन्म लेते ही बच्चे खुद शिकार करना शुरू कर देते हैं। पहले केवल गांवों में ही यह प्रजाति देखने को मिलती थी लेकिन अब पाश कालोनी में भी रसल वाइपर सांप दिख रहे हैं। |