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Aadhaar Scam असम से लेकर केरल तक की आइडी से झारखंड में बने फर्जी आधार कार्ड, बड़ी साजिश के संकेत

cy520520 2025-10-17 22:07:13 views 1242

  



जागरण संवाददाता, साहिबगंज। झारखंड के साहिबगंज जिले में फर्जी दस्तावेजों के सहारे आधार कार्ड बनाने के मामले ने गंभीर रूप ले लिया है। पुलिस ने इस मामले में बैंक ऑफ इंडिया के सीएसपी संचालक मोनू कुमार चौधरी और उसके सहयोगी राजदेव उरांव को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया था। पूछताछ के बाद पुलिस ने शुक्रवार को उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जिरवाबाड़ी थाना क्षेत्र के मदनशाही स्थित बैंक आफ इंडिया सीएसपी केंद्र से फर्जी आधार कार्ड बनवाने का यह मामला उजागर हुआ था। पुलिस की छापेमारी में एक लैपटाप, स्लैप स्कैनर, आईरिस स्कैनर, वेब कैमरा, दो मोबाइल यूएसबी कनेक्टर, दो आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए थे।

पुलिस रिमांड के दौरान रांची और दिल्ली से आई यूआइडीएआइ (UIDAI) की दो संयुक्त टीमों ने आरोपियों से लंबी पूछताछ की। टीम में असिस्टेंट मैनेजर हीरावीर सिंह और सेक्शन आफिसर अनिल कुमार सिंह शामिल थे। पूछताछ के दौरान टीम ने जब्त लैपटॉप की गहन जांच की, जिसमें से कई डिजिटल दस्तावेज और प्रमाण मिले हैं। टीम ने उन सभी डिजिटल साक्ष्यों को आगे की जांच के लिए अपने साथ ले लिया है।

प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिले हैं कि साहिबगंज में फर्जीवाड़े में असम की आइडी और पाकुड़ में जम्मू कश्मीर और केरल की आइडी के माध्यम से गलत दस्तावेजों के सहारे आधार कार्ड बनाए गए हैं। अब जांच टीमें यह भी पता लगा रही हैं कि क्या इस गिरोह ने बांग्लादेशी या रोहिंग्या घुसपैठियों के नाम पर भी आधार कार्ड जारी किए हैं। यदि ऐसा पाया गया तो मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से और भी गंभीर हो सकता है।

दरअसल, साहिबगंज और पाकुड़ जिले लंबे समय से घुसपैठ की समस्या से जूझ रहे हैं। दोनों जिलों में जनसंख्या से अधिक आधार कार्ड जारी होने का मामला सामने आया है। यही नहीं, झारखंड हाई कोर्ट में इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका (PIL) भी चल रही है। अदालत ने इस पर झारखंड सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय से रिपोर्ट तलब की है।

अदालत में दायर याचिका में कहा गया है कि इस इलाके में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए शरण लिए हुए हैं, जो फर्जी दस्तावेजों के सहारे आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी बनवा कर भारतीय नागरिक का दर्जा हासिल कर रहे हैं। इससे न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है, बल्कि मतदान प्रक्रिया और जनगणना आंकड़ों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

राजनीतिक तौर पर भी यह मामला बार-बार चुनावी मुद्दा बनता रहा है। कई राजनीतिक दल इसे सीमा पार से घुसपैठ और मतदाता सूची में हेराफेरी से जोड़ते हैं। वहीं प्रशासनिक स्तर पर भी इस क्षेत्र में जनसंख्या और जारी किए गए आधार कार्डों के आंकड़ों के बीच भारी विसंगति पाए जाने के बाद सतर्कता बढ़ा दी गई है।

फिलहाल, पुलिस और UIDAI की टीमें इस पूरे फर्जीवाड़े के नेटवर्क को खंगालने में जुटी हैं। जांच के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि इस रैकेट के तार कितने गहरे तक फैले हैं और क्या यह केवल स्थानीय स्तर तक सीमित है या किसी बड़े गिरोह से जुड़ा हुआ है।
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