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बिहार की इस सीट पर जातीय समीकरणों से तय होती है जीत-हार, JDU और RJD में कड़ी टक्कर

cy520520 2025-10-17 16:07:31 views 586

  

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फाइल फोटो)



अफसर अली, अररिया। रानीगंज विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। रानीगंज के सभी 30 पंचायत व एक नगर पंचायत समेत भरगामा प्रखंड के सात ग्राम पंचायत बीरनगर पूर्वी, बीरनगर पश्चिमी, धनैश्वरी, हरिपुर कला, खूथा बैजनाथपुर, नया भरगामा और विशहरिया शामिल है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

रानीगंज विधानसभा चुनाव के पिछले कुछ चुनाव पर गौर करेंगे तो स्पष्ट हो जाएगा कि जातीय गोलबंदी से यहां कैंडिडेट के जीत-हार का फैसला तय होता है। महादलित, मुस्लिम, यादव, पिछड़ी व दलित वोटरों का ही दबदबा रहा है। प्रत्याशी भी जातीय गोलबंदी करने की अथक प्रयास में जुटे रहते हैं।

यह सीट वर्ष 1957 में अस्तित्व में आई थी और यहां अब तक 16 विधानसभा चुनाव हुए हैं। 2015 में जदयू महागठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ी थी। 2015 में रानीगंज विधान सभा क्षेत्र में कुल 283545 मतदाता थे। जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार अचमित ऋषिदेव इस सीट से विजयी हुए और विधायक बने। उन्हें कुल 77717 मत मिले थे।

भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रामजी दास ऋषिदेव 62787 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वे 14930 मतों से हार गए। वहीं, उसके उलट वर्ष 2020 के विधानसभा जदयू एनडीए गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ी तो जदयू कैंडिडेट अचमित ऋषिदेव ने राजद के अविनाश मंगलम को 2,304 मतों के मामूली अंतर से हराकर सीट बरकरार रखी।

2020 में जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार अचमित ऋषिदेव इस सीट से विजयी हुए और विधायक बने। उन्हें कुल 81901 मत मिले। आरजेडी के उम्मीदवार अविनाश मंगलम कुल 79597 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इससे स्पष्ट है कि रानीगंज विधानसभा में आरजेडी और जदयू कंडिडेट के बीच आमने-सामने की टक्कर रहेगी।

किसी एक की जीत की गारंटी देना बेमानी होगी। एमवाई समीकरण कामयाब रही तो आरजेडी प्रत्याशी की जीत, बिखराव और एसएसी एसटी, ओबीसी व स्वर्ण की एकजुटता हाेने पर एनडीए की जीत तय मानी जाती है।
अनूसचित जाति की संख्या अधिक

रानीगंज पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है। यहां शिक्षा का भी घोर अभाव है। इस विधानसभा में 3,41,487 पंजीकृत मतदाता हैं। जिनमें करीब 80 हजार अनुसूचित जाति, 18 हजार अनुसूचित जनजाति और करीब एक लाख मुस्लिम और 40 हजार यादव, 45 पिछड़ी जाति के अलावे स्वर्ण व अन्य जातियों की मतदाता हैं। यहां पिछड़ी जति के गोलबंदी भी निर्णायक रही है।

2020 में मतदान प्रतिशत 55.35% रहा, जो 2015 के 56.98% से थोड़ा कम था। करीब 60 हजार पुरुष मतदाता हर साल काम के तलाश अन्य राज्यों में पलायन कर जाते हैं। भौगोलिक दृष्टिकोण रानीगंज का इलाका समतल और नीचला है। यह उत्तर बिहार के तराई क्षेत्र में आता है और मानसून के दौरान अक्सर जलजमाव और बाढ़ की चपेट में रहता है।

कोसी और महानंदा नदियां इस क्षेत्र के पास बहती हैं। ये नदियां कृषि के लिए वरदान हैं, लेकिन बाढ़ की समस्या भी बढ़ाती हैं।

यहां की फसलों में धान, मक्का और जूट आदि है। क्षेत्र में कोई बड़ा औद्योगिक प्रतिष्ठान नहीं है। इसकारण यहां पलायन बदस्तुर जारी रहता है।
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