अगेती आलू की खेती के लिए कुफरी प्रजाति की बुवाई करें किसान, कृषि वैज्ञानिक ने दी यह सलाह

Chikheang 2025-10-14 13:37:22 views 846
  

बेलीपार कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने दी सलाह, अशोका, बाहर समेत अन्य के बीज का करें चयन



जागरण संवाददाता, गोरखपुर। धान की फसल करीब-करीब तैयार हो चुकी है। अगेती धान के तैयार होने पर किसान उसकी कटाई में जुटे है। वहीं काला नमक और संभा व स्वर्ण मंसूरी की बालियां फूट रही है। बेलीपार कृष विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे समय तीनों प्रजाति के धान में ब्राउन स्पाट (भूरा धब्बा) नामक रोग लगती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जो एक कवक रोग है। इससे क्लियोप्टाइल, पत्तियों, पत्ती आवरण, पुष्पगुच्छ शाखाओं, ग्लूम्स और स्पाइकलेट्स को संक्रमित करता है। इससे बचने के लिए किसान विशेषज्ञों का सलाह लेकर कीटनाशक का छीड़काव कर इस रोग से धान की फसल को बचा सकते हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. शैलेंद्र सिंह ने बतया कि जिन किसानों के खेत खाली हो गए है। वह कुफरी प्रजाति के अगेती आलू की बुवाई कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को कुफरी अशोका, कुफरी बाहर, कुफरी ख्याति, कुफरी सूर्या, ऊपरी चंद्रमुखी आदि बीज का चयन कर खेती करना होगा।

आलू की खेती करते समय किसान बोरिक एसिड के तीन प्रतिशत घोल से बीज का उपचार कर प्रति एकड़ 50 किलो यूरिया, 90 किलो डीएपी, 70 किलोग्राम म्यूरेट ओफ पोटाश के साथ 10 किलोग्राम बोरेक्स खेत में मिलाकर आलू की बुवाई करें।

इसके अलावा प्याज की बुवाई के लिए उन्नत प्रजातियों का चयन कर रोपाई के बारहवें भाग में नर्सरी डालें। समय-समय पर नर्सरी में जरूरत के हिसाब से कीटनाशक का छीड़काव करें। इसी के साथ लहसुन की बुवाई करने से पूर्व 10 किलो सल्फर प्रति एकड़ का प्रयोग अवश्य करें।

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ठंड से पहले कर लें सब्जियों के नर्सरी की रोपाई

डा. शैलेंद्र सिंह ने बताया कि जिन किसानों ने फूलगोभी, टमाटर, बैंगन, मिर्च आदि की नर्सरी डाल रखी है। वह रोपाई की तैयारी शुरु कर दें। फूलगोभी की उच्च कोटि के फूल प्राप्त करने हेतु 600 ग्राम अमोनिया मालिविडेट प्रति एकड़ की दर से रोपाई से पूर्व अवश्य प्रयोग करें, पात गोभी के कर्ड की अच्छी गुणवत्ता हेतु चार किलोग्राम बोरेक्स प्रति एकड़ की दर से मिलाकर रोपाई करें।

फलदार पौधों में पोषक तत्वों का प्रयोग अविलंब करें। जिन पौधों में फल, फूल गिरने की समस्या होती हो उसमें बोरान, एवं जिन पौधों में लासा निकालने की समस्या हो उसमें कापर सल्फेट मिलकर गुड़ाई कर पानी चला दे। यह सभी कार्य ठंड की शुरुआत होने से पहले आवश्य कर दें।
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