प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नगीना। नूंह जिले में इन दिनों आरटीआई कानून मजाक बनता जा रहा है। अधिकारी समय पर जवाब नहीं देते। ऐसे में सरकार की यह महत्वपूर्ण योजना यहां शून्य साबित हो रही है। ग्राम तिगांव निवासी फखरुद्दीन द्वारा ब्लाॅक समिति फिरोजपुर झिरका से मांगी गई जानकारी छह माह बीत जाने के बाद भी अब तक नहीं दी गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत फखरुद्दीन ने खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी (बीडीपीओ) कार्यालय फिरोजपुर झिरका से आरटीआई के माध्यम से कई महत्वपूर्ण सूचनाएं मांगी थीं। मगर निर्धारित समयावधि बीतने के बावजूद उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।
फखरुद्दीन ने पहले स्तर पर आवेदन खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय में जमा कराया था। जब वहां से कोई उत्तर नहीं मिला तो उन्होंने प्रथम अपील जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी (डीडीपीओ) नूंह को लगाई। मगर वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने राज्य सूचना आयोग में दूसरी अपील दाखिल की। फिर भी उन्हें जानकारी नहीं दी गई।
अंतत: उन्होंने बीडीपीओ की अनदेखी को हाई कोर्ट में चुनौती देने का मन बनाया है। फखरुद्दीन ने कहा कि आरटीआई कानून नागरिकों को पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का अधिकार देता है लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह कानून बेअसर होता दिख रहा है।
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उन्होंने कहा कि अगर जल्द जवाब नहीं मिला तो वे इस मामले को आगे तक ले जाकर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे। क्षेत्र के आरटीआई कार्यकर्ता फखरुद्दीन, गीता सहित कई लोगों ने कहा कि आरटीआई का उद्देश्य सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाना है, लेकिन यदि समय पर जवाब नहीं दिए जाएंगे तो यह कानून अपनी मूल भावना खो देगा। इस संबंध में ब्लाॅक समिति चेयरमैन इकराम ने कहा कि आरटीआई का जवाब जल्द दिया जाएगा।
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“आरटीआई का जवाब मुझे डाक द्वारा उपलब्ध कराना चाहिए था। दोनों अपील का जवाब नहीं मिलने के बाद अब मुझे मजबूरी में कोर्ट का सहारा लेना पड़ेगा।“
-फखरुद्दीन, आरटीआई कार्यकर्ता
“आवेदनकर्ता को सूचना देने के लिए कार्यालय बुलाया गया था लेकिन वह समय पर उपस्थित नहीं हो पाया। इसी कारण देरी हुई है। आवेदनकर्ता को शीघ्र बुलाकर सभी मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।“
-अजीत सिंह, बीडीपीओ फिरोजपुर झिरका |