बंदरों की उछल कूद रोकने की रेलवे ने ढूंढ़ी तरकीब
तापस बनर्जी,धनबाद। ओएचई (ओवरहेड इक्विपमेंट) पर चढ़ कर उछल कूद करने वाले बंदरों की रोकथाम को रेलवे ने तरकीब ढूंढ़ निकाली है। इसके लिए ओएचई में एंटी मंकी क्लाइंबिंग डिवाइस लगाए जाएंगे। इससे न केवल बंदरों को चढ़ने से रोका जा सकेगा बल्कि हाई वोल्टेज के झटके से उन्हें बचाया भी जा सकेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
साथ ही रेलवे को ओएचई के नुकसान से बचाया जा सकेगा। झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक फैले धनबाद रेल मंडल के ऐसे कई रेलखंड हैं जहां अक्सर बंदर ओएचई पर चढ़ जाते हैं।
बंदर के ओएचई के खंभे या उसके एंगल को हिलाने पर ओवरहेड तार भी हिलने लगते हैं। इससे कई बार ओएचई ट्रिप कर जाती है और ट्रेनों को बिजली आपूर्ति ठीक से नहीं हो पाता। उछल कूद करने से कई बार ओएचई तार टूट जाते हैं।
इससे रेल सेवा प्रभावित होती ही है। कई बार करंट की चपेट में आकर बंदर की मौत भी हो जाती है। एंटी क्लाइंबिंग डिवाइस से ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।
ओएचई खंभों में लगेगी डिवाइस
एंटी मंकी क्लाइंबिंग डिवाइस को ओएचई के खंभे में लगाया जाएगा। डिवाइस के आसपास कंटीले तार रहेंगे।इससे जैसे बंदर ऊपर चढ़ने की कोशिश करेंगे, उनका पैर फिसलने लगेगा और चढ़ नहीं सकेंगे।medical education,postgraduate medical seats,MBBS seats,medical research system,healthcare sector india,DSIR capacity building,skilled doctors,medical colleges,indian medical system,central cabinet decisions
इन बंदरबहुल रेलखंडों पर 1.72 करोड़ से लगेंगे 900 डिवाइस
धनबाद रेल मंडल के बरकाकाना, खलारी, लातेहार, डालटनगंज, हजारीबाग रोड, हजारीबाग टाउन, रेणुकूट व चोपन जैसे बंदरबहुल रेलखंडों पर एंटी मंकी क्लाइंबिंग डिवाइस लगाए जाएंगे। इसके लिए रेलवे ने लगभग 1.72 करोड़ का टेंडर जारी किया है। इन रेलखंडों में 900 डिवाइस लगेंगे।
परिंदों की बचेगी जान, रेलवे को भी नहीं होगा नुकसान
ओएचई के इंसुलेटर की परिंदों से सुरक्षा के लिए एंटी बर्ड डिस्क भी लगाए जाएंगे। ओएचई के इंसुलेटर चीनी मिट्टी के बने होते हैं। पक्षियों के उस पर बैठने से इसमें खराबी आने की संभावना बनी रहती है। साथ ही पक्षियों के करंट की चपेट में आकर मरने या घायल होने का भी खतरा रहता है।
एंटी बर्ड डिस्क पक्षियों को बिजली के तार के संपर्क में आने से बचाएगी। साथ ही इंसुलेटर को नुकसान पहुंचने से बचाने में भी मदद करेगी। लाइन ट्रिप होने से रोकेगी जिससे ट्रेनों का परिचालन सुचारू रूप से जारी रखने में मदद मिलेगी। |