सीमांचल की 24 सीटों पर मुकाबला दिलचस्प है।
मनोज कुमार, पूर्णिया। अल्पसंख्यक बाहुल्य सीमांचल की 24 सीटों पर इस बार दिलचस्प मुकाबले की बिसात बिछ रही है। पहले से ही एआईएमआईएम के मैदान में रहने से अपने आधार वोट बैंक में सेंधमारी से परेशान महागठबंधन की मुसीबत जन सुराज ने भी बढ़ानी शुरू कर दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सीमांचल की जिन तीन सीटों के लिए जन सुराज ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है, उसमें दो उम्मीदवार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं और निश्चित रूप से यह महागठबंधन के लिए अच्छी खबर तो नहीं है। इसको लेकर महागठबंधन की पैनी नजर जन सुराज की हर चाल पर टिकी हुई है।
MY समीकरण दरकने से महागठबंधन को होता है नुकसान
सीमांचल में माय (MY) समीकरण दरकने से महागठबंधन को सीधा नुकसान होता है। खासकर अल्पसंख्यक वोट में बिखराव से हार-जीत का गणित सीधे तौर पर प्रभावित होता है। वर्ष 2020 के चुनाव में इसका खामियाजा भी गठबंधन को झेलना पड़ा था। एआईएमआईएम की सेंधमारी ने राजद के साथ-साथ कांग्रेस को भी नुकसान पहुंचाया था। यहां की 24 सीटों में महागठबंधन के को महज सात सीट पर ही जीत मिल पाई थी। इसमें पांच कांग्रेस व एक-एक राजद व माले के खाते में आई थी।
एआईएमआईएम ने यहां पांच सीटों पर जीत दर्ज कर ली थी। कुछ सीटों पर एआईएमआईएम या फिर अन्य अल्पसंख्यक समाज के उम्मीदवार के चलते एनडीए की जीत आसान हो गई थी। ऐसे में महागठबंधन लगातार इस इलाके में एआईएमआईएम को रोकने की तैयारी में जुटी हुई थी।
बाद में एआईएमआईएम के चार विधायकों को राजद ने अपनी पार्टी में शामिल करा लिया था। इससे खार खाकर एआईएमआईएम इस बार मैदान में आक्रामक अंदाज में उतरी है। इस स्थिति के बीच अब जन सुराज की रणनीति ने महागठबंधन की परेशानी और बढ़ा दी है।
वोट समीकरण के अनुसार जन सुराज की सधी चाल
जन सुराज ने वोट समीकरण के अनुसार अपनी सधी चाल चलनी शुरू कर दी है। इससे महागठबंधन की बेचैनी ज्यादा बढ़ गई है। पहले चरण में जन सुराज पार्टी ने जिन 51 उम्मीदवारों का लिस्ट जारी की है, उसमें सीमांचल के भी तीन विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार शामिल हैं।
इसमें पूर्णिया के अमौर विधानसभा क्षेत्र से अफरोज आलम एवं बायसी विधानसभा क्षेत्र से मु. शाहनवाज आलम को पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किया है। दोनों प्रत्याशी सुरजापुरी बिरादरी से हैं और इस बिरादरी से प्रत्याशी बनाने की मांग महागठबंधन में भी उठती रही थी। शायद उसी नब्ज को पकड़ जन सुराज ने यह चाल चली है और यही कारण है कि महागठबंधन के बेचैनी कहीं न कहीं बढ़ गई है।
यद्यपि अभी 21 अन्य सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा बाकी है, लेकिन माना जा रहा है कि जन सुराज इस इलाके में ज्यादा से ज्यादा अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के संकेत दे दिए हैं। तमाम अटकलों के बीच चुनावी गणित के लिए यह अहम रहेगा। खासकर एआईएमआईएम के तेवर व जन सुराज की इस चाल के बीच अपनी नैया भंवर से निकालना महागठबंधन के लिए टेढ़ी खीर होगी।
पार्टी ने कटिहार के प्राणपुर सीट से ही अपने प्रत्याशी की घोषणा की है। वहां कुणाल कुमार निषाद को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। यह महागठबंधन में शामिल वीआइपी की कोर वोट बैंक माना जाता है और कहीं न कही वहां भी कुछ इसी तरह का निशाना साधने का प्रयास किया गया है।
किशनगंज, अररिया व कटिहार के कई सीटों पर पड़ेगा सीधा प्रभाव
राजनीतिक समझ रखने वाले लोगों का मानता है कि पूर्णिया के इन दोनों सीटों की तर्ज पर ही अगर जन सुराज इसी रणनीति पर आगे बढ़ती है तो विशेषकर किशनगंज, अररिया व कटिहार जिले की सीटों पर इसका व्यापक असर पड़ेगा। इसके अलावा पूर्णिया के कुछ अन्य सीटों पर भी हार-जीत की गणित में जन सुराज का प्रत्याशी चयन अहम भूमिका निभाएगा।
इधर, राजद के पूर्णिया जिलाध्यक्ष मिथिलेश दास इस संभावना से कतई सहमत नहीं है। उनका मानना है कि अब जनता सब कुछ समझती है। महागठबंधन का आधार वोट बैंक अटूट है और इसमें सेंधमारी की कोशिश अंजाम तक नहीं पहुंच पाएगा। कुछ वोट जो पूर्व से महागठबंधन के खिलाफ जाते हैं उसी वोट में एआईएमआईएम या फिर जन सुराज की सेंधमारी होगी। |