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Moti Mosque: बेहद खास है शहंजाह शाहजहां की बनवाई मोती मस्जिद, ASI गुंबद के कलश का करेगा संरक्षण

LHC0088 2025-10-9 19:36:33 views 904

  

आगरा किला स्थित मोती मस्जिद और उसके आंगन के मध्य में बना धूप घड़ी का स्तंभ। जागर



जागरण संवाददाता, आगरा। शहंशाह शाहजहां द्वारा तामीर कराए गए ताजमहल में गुंबद से पानी का रिसाव रोकने को किए जा रहे संरक्षण के साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) आगरा किला स्थित मोती मस्जिद में भी पानी के रिसाव को रोकने के लिए संरक्षण का काम करेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

शाहजहां द्वारा बनवाई गई मोती मस्जिद के गुंबद के संगमरमर से बने कलश (पिनेकल) के साथ ही उस पर बनी उल्टे कमल की दो पंखुड़ियों की भी मरम्मत की जाएगी। मोती मस्जिद के संरक्षण के प्रस्ताव को एएसआई के दिल्ली मुख्यालय से स्वीकृति मिल गई है।

  
छत की गिट्टी हो चुकी है खराब, मरम्मत की जाएगी

  

आगरा किला में मीना बाजार से लगी मोती मस्जिद है। इसका लंबे समय से संरक्षण नहीं किया गया था। मस्जिद की छत पर चूने के मसाले में मिलाकर बिछी हुई गिट्टी खराब हो गई है। छत से होने वाले पानी के रिसाव को रोकने के लिए एएएसआइ संरक्षण का काम करेगा। इसके गुंबद के कलश में बने उल्टे कमल की दो पंखुड़ियां टूटी हुई हैं, जिन्हें मूल स्वरूप में सहेजा जाएगा। इसके साथ ही खराब हो चुके रेड सैंड स्टोन को बदलने का काम किया जाएगा।

  
पर्यटकों का प्रवेश है प्रतिबंधित


शाहजहां ने अपने शासनकाल में वर्ष 1647 से 1654 के मध्य मोती मस्जिद का निर्माण कराया था। उस समय इसके निर्माण पर करीब तीन लाख रुपये व्यय हुए थे। मोती मस्जिद में पर्यटकों का प्रवेश प्रतिबंधित है। दीवान-ए-आम से इसके गुंबद नजर आते हैं। सफेद संगमरमर से बनी मोती मस्जिद में करीब एक दशक पूर्व एएसआई की रसायन शाखा ने मडपैक ट्रीटमेंट किया था।


मोती मस्जिद की खासियत

  

  • मोती मस्जिद की बाहरी दीवारें रेड सैंड स्टोन से बनी हुई हैं।
  • अंदर की तरफ पूरा काम सफेद संगमरमर का है।
  • पूरब से पश्चिम तक इसकी दीवार 234 फीट और उत्तर से दक्षिण की तरफ इसकी दीवार 187 मीटर लंबी है।
  • मस्जिद के आंगन में वर्गाकार टैंक बना हुआ है, जिसकी प्रत्येक दिशा में लंबाई 37 फीट है।
  • मस्जिद अंद से मेहराब व खंबों की पंक्तियों के द्वारा तीन भागों में बंटी हुई है।
  • इसके ऊपर तीन गुंबद बने हैं।
  • मस्जिद में महिलाओं के लिए नमाज पढ़ने का चैंबर अलग से बना है, जिसमें पर्दे के लिए संगमरमर की जाली लगी है।
  • मस्जिद के सामने वाले मेहराब में काले संगमरमर पर फारसी भाषा का शिलालेख लगा है।
  • मोती मस्जिद ऊंचाई पर बनी है और वहां तक जाने को काफी सीढ़ियां चढ़नी होती हैं।
  • मस्जिद के नीचे के भाग में कोठरियां बनी हुई हैं। मस्जिद के आंगन में धूप घड़ी का स्तंभ बना हुआ है।


  

आगरा किला के वरिष्ठ संरक्षण सहायक कलंदर ने बताया कि मोती मस्जिद के संरक्षण के प्रस्ताव को दिल्ली मुख्यालय से अनुमति मिल गई है। शीघ्र ही इसका टेंडर कराकर संरक्षण का काम शुरू किया जाएगा।
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