बिहार चुनाव में दांव पर उत्तर बिहार के 12 मंत्रियों की प्रतिष्ठा  
 
  
 
  
 
अजय पांडेय, मुजफ्फरपुर। विधानसभा चुनाव में उत्तर बिहार के दोनों चरण महत्वपूर्ण होंगे। इसबार 12 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है। मिथिलांचल के सात और तिरहुत के पांच मंत्री हैं। इनमें भाजपा कोटे से आठ और जदयू से चार हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
छह नवंबर को पहले चरण में मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और दरभंगा की 31 सीटों के लिए चुनाव होना है। इसमें सात मंत्री चुनाव लड़ने जा रहे हैं।  
ये मंंत्री हैं चुनाव मैदान पर  
 
इसमें से कुढ़नी से पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता, साहेबगंज से पर्यटन मंत्री डॉ. राजू सिंह, जाले से नगर विकास एवं आवास मंत्री जीवेश कुमार, दरभंगा नगर से भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री संजय सरावगी, सरायरंजन से जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, कल्याणपुर से सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी और बहादुरपुर से समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी हैं।  
 
  
 
11 नवंबर को दूसरे चरण में पांच झंझारपुर से उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा, फुलपरास से परिवहन मंत्री शीला मंडल, बेतिया से पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रेणु देवी, हरसिद्धी से गन्ना एवं उद्योग विभाग के मंत्री कृष्णनंदन पासवान और रीगा से कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री मोतीलाल प्रसाद हैं।  
कुछ सीटों पर घोषणा की औपचारिकता  
 
बेतिया से भाजपा की रेणु देवी का टिकट तय माना जा रहा। हालांकि, दावेदार और भी हैं। केदार प्रसाद गुप्ता, डॉ. राजू सिंह और मोतीलाल प्रसाद को पार्टी एक मौका और दे सकती है।  
 
  
 
समस्तीपुर में विजय कुमार चौधरी लगातार दो टर्म से जीत रहे। महेश्वर हजारी भी पार्टी के मजबूत नेता हैं। हरिसिद्धि से भी भाजपा चेहरा बदलने के मूड में नहीं दिख रही।  
जाले में ऊहापोह तो बहादुरपुर-गौड़ाबौराम में अदला-बदली की चर्चा  
 
दरभंगा नगर से अनवरत जीत रहे संजय सरावगी को लंगड़ी मारने के लिए पार्टी के भीतर से ही आवाज उठ रही। जाले से जीवेश कुमार को लेकर जरूर ऊहोपोह है। बहादुरपुर से जदयू विधायक मदन सहनी की सीट में एकबार फिर बदलाव हो सकता है।  
 
  
 
जदयू उन्हें गौड़ाबौराम से उतारने पर विचार कर सकता है। वहां से फिलहाल भाजपा की स्वर्णा सिंह विधायक हैं। ऐसे में सीटों की अदला-बदली हो सकती है। नीतीश मिश्रा का टिकट झंझारपुर से कन्फर्म माना जा रहा।  
 
इधर, फुलपरास से शीला मंडल को लेकर संशय है। जातिगत समीकरण के आधार पर यहां चेहरा बदलने की रणनीति पर पार्टी काम कर सकती है।  
 
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